(नीलाभ श्रीवास्तव)
कोकराझार, 28 जनवरी (भाषा) असम के बोडो आदिवासी क्षेत्र स्थित स्वायत्त प्रशासनिक प्राधिकार ‘बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र’ (बीटीआर) ने बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) में संविधान के अनुच्छेद-280 को लागू करने की मांग की है, जिससे क्षेत्र के कुछ दूरदराज के जिलों को विकास के लिए अधिक धनराशि प्राप्त हो सके।
बीटीआर का कहना है कि क्षेत्र को संविधान के अनुच्छेद-280 में शामिल किया जाए ताकि राज्य के उन कुछ दूरदराज के जिलों के विकास के लिए अधिक धनराशि प्राप्त हो सके, जो दशकों से उग्रवाद से प्रभावित रहे थे लेकिन अब शांति के मार्ग पर हैं।
बीटीआर के शासी निकाय बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बोरो ने यहां संवाददाताओं को बताया कि वह चार दशकों की अस्थिरता, भय, अनिश्चितता के बाद हासिल शांति को ‘‘बरकरार रखने की कोशिश’’ कर रहे हैं।
बोडो समूहों, केंद्र और असम सरकार के बीच 27 जनवरी, 2020 को हुए त्रिपक्षीय बोडो शांति समझौते के सोमवार को सफल पांच वर्ष पूरे हो गए।
संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्थापित बीटीआर में पांच जिले शामिल हैं – कोकराझार, चिरांग, बास्का, उदलगुरी और नवीनतम तामुलपुर।
बीटीआर के 8,970 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर बीटीसी का शासन है, जिसमें 31 लाख से अधिक लोग रहते हैं, जिनमें बोडो भी शामिल हैं। बोडो असम की सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है।
ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद बोरो ने यहां सोमवार रात को संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अपने लोगों को सामान्य स्थिति में वापस लाने में कामयाब रहे हैं। बोडोलैंड में अब लगातार शांति बनी हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें क्या चाहिए? नीति और वित्तपोषण। हमारे यहां अपार संभावनाएं हैं और हमें बोडोलैंड को देश के किसी भी अन्य हिस्से की तरह बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, ज्ञान और वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। वित्तपोषण एक समस्या है… यहां (दशकों के उग्रवाद की वजह से) कोई बैंक या व्यवसायी नहीं हैं। हम उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
बोरो ने कहा कि बीटीसी के लिए कुल वार्षिक बजटीय आवंटन 800 करोड़ रुपये है, जो असम के कुल बजट का लगभग 12 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने केंद्र से मांग की है कि परिषद (बीटीसी) क्षेत्र में अनुच्छेद 280 को लागू किया जाना चाहिए… ताकि हमें केंद्र सरकार से सीधे धन मिल सके। यह धन एक योजना के तहत आएगा। यह 2020 के शांति समझौते में भी एक खंड था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तभी हम अपनी विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेंगे। परिषद भी (इस तरह) मजबूत होगी…।’
भाषा रवि कांत रवि कांत अमित
अमित