Asaduddin Owaisi on New Criminal Laws : तीन नए आपराधिक कानून पर बोले असदुद्दीन ओवैसी, कहा- ‘सरकार किसी को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है’

Asaduddin Owaisi on New Criminal Laws : असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "...इस कानून से यह सरकार किसी को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है।

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  • Publish Date - July 1, 2024 / 04:37 PM IST,
    Updated On - July 1, 2024 / 04:37 PM IST

Asaduddin Owaisi on New Criminal Laws : नई दिल्ली। देश में सोमवार को तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव आएंगे। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 आज से पूरे देश में प्रभावी हो गए हैं। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। सोमवार से सभी नयी प्राथमिकियां बीएनएस के तहत दर्ज की जाएंगी। हालांकि, जो मामले यह कानून लागू होने से पहले दर्ज किए गए हैं उनके अंतिम निपटारे तक उन मामलों में पुराने कानूनों के तहत मुकदमा चलता रहेगा। 3 नए आपराधिक कानूनों पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान भी सामने आया है।

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3 नए आपराधिक कानूनों पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी

Asaduddin Owaisi on New Criminal Laws : 3 नए आपराधिक कानूनों पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “…इस कानून से यह सरकार किसी को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है। यह कानून UAPA से खतरनाक है। UAPA में अगर किसी की पुलिस हिरासत बढ़ानी है तो DSP रैंक का अधिकारी कोर्ट में याचिका देता है कि हम उनकी हिरासत क्यों लेना चाह रहे हैं। यहां पर उसकी जरूरत भी नहीं है। इसमें बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जिसका गलत इस्तेमाल, दलितों पर, आदिवासियों पर और मुसलमानों पर है…”

पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी

अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी। यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। भारतीय दंड संहिता (IPC) 511 धाराएं थीं।

वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।

 

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