Article 370 Verdict

Article 370 Verdict: अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी सुनवाई, बरकरार रहेगा 370 हटाने का फैसला

Article 370 Verdict: अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी सुनवाई, बरकरार रहेगा 370 हटाने का फैसला Article 370 Supreme Court Verdict

Edited By :   Modified Date:  December 11, 2023 / 11:54 AM IST, Published Date : December 11, 2023/11:53 am IST

Article 370 Verdict: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, विलय के बाद जम्मू-कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं है।

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अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया।
  • SC ने कहा कि इसे याचिकाकर्ता द्वारा विशेष रूप से चुनौती नहीं दी गई थी।
  • सीजेआई ने कहा, जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं।
  • अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति के प्रयोग की उचित वजह होनी चाहिए।
  • सीजेआई ने कहा कि हमारा मानना है कि राज्य की ओर से संघ की प्रत्येक कार्रवाई से राज्य का प्रशासन ठप हो जाएगा।
  • सीजेआई ने कहा, संवैधानिक व्यवस्था ने यह संकेत नहीं दिया कि जम्मू-कश्मीर ने संप्रभुता बरकरार रखी है।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है।
  • सीजेआई ने कहा, कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है।
  • CJI ने कहा- अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना जारी करने की शक्ति कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के विघटन के बाद भी कायम रहती है।
  • केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा गया है क्योंकि अनुच्छेद 3 राज्य के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है: सीजेआई

आर्टिकल 370: पक्ष-विपक्ष में दी गईं दलीलें

याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि आर्टिकल 370 को निरस्त ही नहीं किया जा सकता। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश से ही राष्ट्रपति उसे निरस्त कर सकते थे। संविधान सभा 1951 से 1957 तक फैसला ले सकती थी, लेकिन उसके बाद इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। सीनियर वकील सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कि चूंकि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल खत्म हो गया था, ऐसे में 1957 के बाद इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। यह संवैधानिक कार्रवाई नहीं है।

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केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश करते हुए कहा था कि सही समय आने पर राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आजादी के 75 साल बाद वहां के लोगों को एक अधिकार मिला है, जिससे वह वंचित थे। इसे निरस्त किए जाने से देश के अन्य लोगों को जो बड़ी संख्या में मौलिक अधिकार मिले हुए हैं। वह अधिकार भी जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिल गया। उन्हें एक व्यापक संप्रभुता भी मिली है।

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