Article 370 Verdict: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, विलय के बाद जम्मू-कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि आर्टिकल 370 को निरस्त ही नहीं किया जा सकता। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश से ही राष्ट्रपति उसे निरस्त कर सकते थे। संविधान सभा 1951 से 1957 तक फैसला ले सकती थी, लेकिन उसके बाद इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। सीनियर वकील सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कि चूंकि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल खत्म हो गया था, ऐसे में 1957 के बाद इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। यह संवैधानिक कार्रवाई नहीं है।
केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश करते हुए कहा था कि सही समय आने पर राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आजादी के 75 साल बाद वहां के लोगों को एक अधिकार मिला है, जिससे वह वंचित थे। इसे निरस्त किए जाने से देश के अन्य लोगों को जो बड़ी संख्या में मौलिक अधिकार मिले हुए हैं। वह अधिकार भी जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिल गया। उन्हें एक व्यापक संप्रभुता भी मिली है।