नई दिल्ली । भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि कार्य में लगा है। उन्नत मशीनों का प्रयोग कर फसले धड़ल्ले से काट दिया जाता है। जिसका असर सीधे पशु के आहार में पड़ता है। हार्वेस्टर से फसल की कटाई के कारण भूसा की समस्या पैदा हो जाती है। बिहार में भूसे की समस्या ने विकराल रुप ले लिया है।
राज्य के सभी जिला अधिकारियों ने करीब दो लाख टन भूसा दान में लेने का लक्ष्य रखा गया है। इधर बुधवार को केंद्र सरकार ने भी भूसा संकट को स्वीकार किया है। इस संबंध में पशुपालन मंत्री बालियान ने कहा कई किसानों ने भूसे का दाम बढ़ने की शिकायत की है। वहीं किसानों ने कहा कि दूध के दाम न बढ़ने से किसान अपने मवेशी बेच रहे हैं। मंत्री ने माना कि भूसे का संकट गहरा है उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि भूसे का विकल्प साइलस बनाने पर सरकार जोर देगी।
हरियाणा सरकार ने भूसे बेचने पर रोक लगा दी है। जिससे अफरा तफरी और फैली है। लेकिन इसका दाम मार्केट फोर्सेस तय करती है। हम इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। केंद्र सरकार को भी हालात के गंभीरता का अंदाजा है। लेकिन उनका कहना है कि इस मामले पर साइलस यानि पैकिंग चारे के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। बताते चलें कि किसानों की तरफ से सरकार पर दूध की कीमत को बढ़ाने की मांग की जा रही है। किसानों का कहना है कि भूसे के आसमान छूते भाव ने किसानों को मवेशी तक बेचने पर मजबूर कर दिया है.