आंध्र प्रदेश ट्रेन हादसा : सीआरएस विशेषज्ञों के मुताबिक रेलवे अधिकारियों ने उल्लंघन को नजरअंदाज किया

आंध्र प्रदेश ट्रेन हादसा : सीआरएस विशेषज्ञों के मुताबिक रेलवे अधिकारियों ने उल्लंघन को नजरअंदाज किया

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  • Publish Date - May 16, 2024 / 08:59 PM IST,
    Updated On - May 16, 2024 / 08:59 PM IST

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) रेलवे सुरक्षा के कुछ विशेषज्ञों, लोको पायलट निकायों और मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने पिछले साल 29 अक्टूबर को पूर्वी तटीय रेलवे के वाल्टेयर मंडल में दो रेलगाड़ियों की टक्कर के लिए मुख्य रूप से वरिष्ठ रेलवे परिचालन अधिकारियों को दोषी ठहराया है। इस हादसे में तीन रेलवे कर्मियों सहित 17 लोगों की मौत हो गई थी।

रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जांच से स्पष्ट होता है कि उस दिन दुर्घटना से पहले ट्रेन तीन में से दो दोषपूर्ण सिग्नल को पार कर आगे बढ़ गई और वरिष्ठ परिचालन अधिकारियों ने इन उल्लंघनों को नजरअंदाज कर दिया।

इस दुर्घटना में लगभग 82 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही रेलगाड़ी संख्या 08504(विशाखापत्तनम-रायगड़ा सवारी गाड़ी)ने दो सिग्नल तोड़ दिए और रेलगाड़ी संख्या नंबर 08532 (विशाखापत्तन- पालसा पैसेंजर) से टकरा गई, जो 16 किमी प्रति घंटे की गति से उसी पटरी पर चल रही थी।

हाल ही में रेलवे बोर्ड को सौंपी गई रिपोर्ट में मुख्य रूप से विशाखापत्तनम-रायगड़ा सवारी गाड़ी के मारे गए लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को लाल सिग्नल को पार करने और उसपर चल रही ट्रेन से टकराने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

रिपोर्ट में वाल्टेयर रेल मंडल के परिचालन विभाग पर द्वितीयक जिम्मेदारी तय की गई। इसमें दो स्टेशनों कंटकपल्ली (केपीएल) और अलामंदा (एएलएम) के तत्कालीन स्टेशन मास्टर भी शामिल हैं। इन दोनों स्टेशनों के बीच ही हादसा हुआ था।

सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से, इस दुर्घटना को टाला जा सकता था यदि (चालक दल के सदस्यों द्वारा निष्क्रियता के अलावा) परिचालन स्टेशन के कर्मचारी मौजूदा नियमों का पालन कर रहे होते या/और मंडल परिचालन अधिकारी ऐसे उल्लंघनों की निगरानी कर रहे होते। नियमों की स्पष्टता की कमी ने समस्या बढ़ा दी है।’’

इसमें कहा गया है कि दुर्घटना से पहले उसी दिन कम से कम तीन अन्य रेलगाड़ियों ने खराब सिग्नल को पार किया था। रिपोर्ट के मुताबिक 14 दिन पहले इसी खंड में इसी तरह की स्वचालित सिग्नल प्रणाली में खामी आई थी और तीन रेलगाड़ियों ने मानदंडों का उल्लंघन करते हुए निर्धारित गति से अधिक गति से यह दूरी तय की थी।

उत्तर रेलवे में मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर/सूचना प्रौद्योगिकी के पद से सेवानिवृत्त केपी आर्य ने कहा, ‘‘डेटा लॉगर डिवाइस इन उल्लंघनों को रिकॉर्ड करता है और एक रिपोर्ट तैयार करता है। इससे पता चलता है कि किसी ने भी इन उल्लंघनों पर ध्यान नहीं दिया। अगर पहले मामले में कार्रवाई की गई होती, तो यह दुर्घटना नहीं होती।’’

आर्य ने कहा,‘‘रेलवे में सुरक्षा मुद्दों पर व्यवस्थित दृष्टिकोण नहीं है।’’

भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने सीआरएस रिपोर्ट में मारे गए लोको पायलट को को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराने पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मृत व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराना कानून के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि जब उल्लंघन आम बात हो जाए तो दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोको पायलट को जिम्मेदार ठहराना दुखद और हतोत्साहित करने वाला है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) के सहायक महासचिव अशोक शर्मा का मानना है कि सीआरएस रिपोर्ट इंगित करती है कि दुर्घटना होने का इंतजार किया जा रहा था क्योंकि रेलगाड़ियों के सुरक्षित परिचालन के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों सहित रेल प्रशासन अपना कर्तव्य निर्वहन करने में विफल रहा।

भाषा धीरज माधव

माधव