अलवर. जिले में मॉब लिंचिंग (Mob lynching) बेलगाम हो चुकी है. करीब ढाई साल पहले अलवर (Alwar) जिले के बहरोड़ में हुए पहलू खान मॉब लिंचिंग केस (Pehlu Khan Mob Lynching Case) के बाद तो इनमें लगातार इजाफा हो रहा है. इन ढाई बरसों में पहलू खान से लेकर रविवार रात मुनफेद खान तक आधा दर्जन शख्स गो तस्करी (cow smuggling) के शक में भीड़ के शिकार हो चुके हैं.
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ना तो अपराध कम हुए हैं और ना ही भीड़ का कहर
बनकर देशभर में बदनामी का दंश झेल रहे अलवर जिले में मॉब लिंचिंग अब कोई अनोखी घटना नहीं रही है. यहां कभी गो तस्करी के शक में तो कभी बच्चा चोरी तो कभी किसी और शक में लोग होते रहते हैं. अलवर जिले में बढ़ रहे गंभीर अपराधों की तादाद और बेखौफ हो रहे अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए पिछले दिनों राज्य सरकार ने यहां दो पुलिस अधीक्षक नियुक्त तक कर दिए. अलवर को दो पुलिस जिलों में बांटकर भिवाड़ी में एक और पुलिस अधीक्षक की तैनाती की गई है. इसके बावजूद ना तो अपराध कम हुए हैं और ना ही भीड़ का कहर.
गत ढाई साल में गो तस्करी के शक में ये बने भीड़ के शिकार
3 अप्रेल 2017- पहलू खां
वर्ष 2017 में 3 अप्रेल को अलवर के बहरोड़ में एनएच संख्या-8 पर शाम के वक्त जागुवास चौक पर हुई घटना ने अलवर को देशभर में सुर्खियों में ला दिया. वहां गोरक्षा दल और अन्य हिन्दूवादी संगठन के सैकड़ों लोगों ने गो तस्करी के आरोप में 6 वाहनों को रोककर 15 लोगों के साथ मारपीट कर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया था. मारपीट में गंभीर रूप से घायल हुए 5 जनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनमें से मेवात जिले के नूंह के जयसिंहपुर निवासी 50 वर्षीय पहलू खां ने 5 अप्रेल को निजी अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.
9 नवंबर, 2017- उमर खान
उसके बाद दूसरा बड़ा मामला भी वर्ष 2017 में 9 नवंबर की रात को गोविंदगढ़ थाना इलाके में सामने आया था. वहां भी कथित गोरक्षकों ने उमर खान की पिटाई के बाद गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी. बाद में उमर खान के शव को रेलवे पटरी पर डाल दिया गया. पुलिस ने शव को मर्चरी में रखवा दिया था. 3 दिन बाद परिजनों के आने पर घटना का खुलासा हुआ.
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23 दिसंबर, 2017- जाकिर खान
यह सिलसिला यहीं नहीं थमा, बल्कि उसी वर्ष दिसंबर में फिर एक शख्स गो तस्करी का शिकार हो गया. अलवर के रामगढ़ थाना इलाके में 23 दिसंबर गाय ले जा रहे एक युवक की 40-50 कथित गोरक्षकों ने उसकी जमकर पिटाई की. गनीमत यह रही पुलिस समय पर पहुंच गई. अन्यथा उसकी भी पीट पीटकर हत्या कर दी जाती.
20 जुलाई, 2018- अकबर उर्फ रकबर
उसके बाद 20 जुलाई, 2018 में अलवर के रामगढ़ इलाके में गो तस्करी के शक में भीड़ ने अकबर उर्फ रकबर पर हमला बोल दिया था. बाद में भीड़ के शिकार हुए अकबर की मौत हो गई. घटना के अगले दिन इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका और उसकी कार्रवाई पर सवालिया निशान लग गए थे.
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29 दिसंबर, 2018- सगीर खान
29 दिसंबर 2018 को सगीर और उसका साथी रात को गायों से भरी पिकअप लेकर आ रहे थे. इस दौरान किशनगढ़ थाना इलाके में साइड देने को लेकर उनकी कार सवारों से कहासुनी हो गई. इसके बाद मौके पर जमा हुए ग्रामीणों ने गो तस्करी के आरोप में सगीर की पिटाई कर दी थी. उसका साथी मुस्ताक मौके से फरार हो गया.
22 सितंबर, 2019- मुनफेद खान
शाहजहांपुर इलाके में 22 सितंबर को देर रात को पुलिस की नाकाबंदी को तोड़कर भाग रहे कथित गो तस्कर मुनफेद खान खुसा की ढाणी में भीड़ के हत्थे चढ़ गया. वहां भीड़ ने मुनफेद खान को पकड़कर उसकी जबर्दस्त पिटाई कर डाली. मौके पर पहुंची पुलिस ने मुनफेद को भीड़ से किसी तरह से छुड़वाया. मारपीट में मुनफेद के कई फ्रैक्चर हो गए.
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