प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार की इलाहाबाद जिले और मंडल का नाम बदलकर प्रयागराज करने की अधिसूचना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी और कई अन्य ने दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई सुनवाई चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने की। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा, एसएफए नकवी और वीसी श्रीवास्तव ने भी पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
दायर याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना जारी करने से पहले नियमों का पालन नहीं किया गया है। राजस्व संहिता की धारा 6 (2) के तहत नाम बदलने के पहले पब्लिक नोटिस जारी कर आपत्तियों के निस्तारण के लिए कमिटी गठित करने का नियम है। ये कमिटी अपनी रिपोर्ट राजस्व परिषद को सौंपती है। इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, इसलिए अधिसूचना रद्द की जाए। जबकि राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि जिले का एरिया बदलने के लिए धारा 6 (2) का पालन करना अनिवार्य है। इस मामले में एरिया में बदलाव नहीं किया गया है। ऐसे में नोटिस जारी कर कमिटी गठित करने की जरुरत नहीं है।
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सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जिला और शहर अलग हैं। शहर के नाम की अधिसूचना जारी होने के बाद शक्ति समाप्त हो चुकी है तो किस नियम के तहत सरकार फिर से नाम कर सकती है। जवाब में अपर महाधिवक्ता ने कहा कि नगर का नाम बदलने के लिए नगर निगम इलाहाबाद ने प्रस्ताव भेजा है, जिस पर सरकार नियमानुसार विचार कर रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जिला और मंडल प्रयागराज हो गए हैं और शहर अब भी इलाहाबाद है।