किसानों को मिली ट्रैक्टर रैली की अनुमति, CAPF जवानों को कानून व्यावस्था बिगड़ने पर तत्काल कार्रवाई के दिए निर्देश

किसानों को मिली ट्रैक्टर रैली की अनुमति, CAPF जवानों को कानून व्यावस्था बिगड़ने पर तत्काल कार्रवाई के दिए निर्देश

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  • Publish Date - January 24, 2021 / 11:39 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

नई दिल्लीः कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 60वें दिन भी जारी है। 10वें दौर की बातचीत के बाद भी किसानों और सरकार के बीच बात नहीं बन पाई है। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने किसानों को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली की अनुमति दे दी है। साथ ही सीएपीएफ जवानों को निर्देश देते हुए कहा है कि सुरक्षा जवान सतर्क रहें, ताकि पब्लिक या किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो तत्काल कार्रवाई करें।

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वहीं, ट्रैक्टर रैली की अनुमति मिलने के बाद किसान नेता योगेंद्र यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि दिल्ली पुलिस की तरफ से आधिकारिक रूप से 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाज़त मिल गई है। जितने भी साथी अपनी ट्रोलियां लेकर बैठें है। मैं उनसे अपील करता हूं कि सिर्फ ट्रैक्टर दिल्ली के अंदर लेकर आएं, ट्रोलियां न लेकर आएं।

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इससे पहले कल योगेंद्र यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि 26 जनवरी को किसान इस देश में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड करेगा। पांच दौर की वार्ता के बाद ये सारी बातें कबूल हो गई हैं। सारे बैरिकेड खुलेंगे, हम दिल्ली के अंदर जाएंगे और मार्च करेंगे। रूट के बारे में मोटे तौर पर सहमति बन गई है।

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26 जनवरी को हम अपने दिल की भावना व्यक्त करने अपनी राजधानी के अंदर जाएंगे। एक ऐसी ऐतिहासिक किसान परेड होगी जैसी इस देश ने कभी नहीं देखी। यह शांतिपूर्वक होगी और इस देश के गणतंत्र दिवस परेड पर या इस देश की सुरक्षा आन-बान-शान पर कोई छींटा नहीं पड़ेगा।

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ज्ञात हो कि कल भी सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। बैठक के दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि नए कृषि कानूनों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। कानूनों को 18 महीने तक टालने के अलावा इससे बेहतर विकल्प और कुछ नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपनी तरफ से बेहतर प्रस्ताव दिया था, अगर किसानों के पास इससे अच्छा कोई प्रस्ताव है तो उसे लेकर आएं। सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।