अजमेर दरगाह मामला : मुस्लिम संगठनों ने मस्जिदों की यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह किया

अजमेर दरगाह मामला : मुस्लिम संगठनों ने मस्जिदों की यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह किया

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  • Publish Date - December 2, 2024 / 07:44 PM IST,
    Updated On - December 2, 2024 / 07:44 PM IST

जयपुर, दो दिसंबर (भाषा) राजस्थान के मुस्लिम संगठनों ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से मांग की कि अजमेर दरगाह और अन्य धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ तुरंत बंद की जाए तथा मस्जिदों के किसी भी तरह के सर्वेक्षण की अनुमति न देते हुए यथास्थिति बनाए रखी जाए।

मुस्लिम संगठनों ने यह भी मांग की कि निचली अदालतों को भी इस तरह की सर्वेक्षण याचिकाओं को स्वीकार न करने का निर्देश दिया जाए तथा पूजा स्थल अधिनियम 1991 का पूरी तरह से पालन किया जाए।

संयुक्त समिति तहफ्फुजे औकाफ के संयोजक मोहम्मद नजीमुद्दीन ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘मस्जिदों को मंदिर बताकर और अदालतों में झूठे मामले दायर करके सर्वेक्षण के नाम पर मस्जिदों की स्थिति को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।’

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को अजमेर दरगाह और अन्य धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ बंद करनी चाहिए तथा किसी भी तरह के सर्वेक्षण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

अधिवक्ता एवं एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के प्रदेश अध्यक्ष सैयद सआदत अली ने कहा कि मस्जिदों को मंदिर बताकर तथा न्यायालयों में झूठे मुकदमे दायर कर सर्वेक्षण के नाम पर मस्जिदों का दर्जा समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह में शिव मंदिर होने के बहाने निचली अदालत में याचिका दायर करना तथा न्यायालय द्वारा उक्त याचिका स्वीकार कर लेना न केवल चिंताजनक है, बल्कि संविधान के विरुद्ध भी है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष जमील खान ने कहा कि अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह धार्मिक एकता का प्रतीक है तथा 1991 (स्थल निर्माण अधिनियम) के तहत किसी धार्मिक स्थल का स्वरूप नहीं बदला जा सकता। इस तरह की याचिकाएं माहौल खराब करने तथा खुद को लोकप्रिय बनाने के लिए दायर की जा रही हैं।

उन्होंने न्यायालय से ऐसी याचिकाओं को खारिज कर देश की सद्भावना बनाए रखने की अपील की।

भाषा

कुंज, रवि कांत

रवि कांत