नई दिल्ली।Air Pollution Deaths In India: देश में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। यह प्रदूषण कितना खतरनाक है और जानलेवा है। एयर पॉल्यूशन लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। जिस वजह से हर साल दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों में हजारों लोग वायु प्रदूषण की वजह से जान गंवा रहे हैं। एक ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राजधानी दिल्ली सहित धुंध से भरे भारतीय शहर दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण से पीड़ित हैं, जिससे लोगों के फेफड़े जाम हो रहे हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ रहा है। प्रदूषण को लेकर हुए इस खुलासे से चिंता एक बार फिर बढ़ गई है।
दरअसल इस अध्ययन में दावा किया गया है कि देश के 10 शहरों में हर साल 33 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं। यह अध्ययन लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में छपा है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में होने वाली सभी मौतों में से सात प्रतिशत से अधिक मौतें वायु प्रदूषण से हो रही हैं। वहीं रिपोर्ट के अनुसार, 2008 से 2019 तक प्रति वर्ष 33,000 से अधिक मौतें पीएम 2.5 के संपर्क के कारण हुई।
द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, 10 प्रमुख भारतीय शहरों में प्रतिदिन होने वाली मौतों में से 7 प्रतिशत से अधिक मौतें PM2.5 सांद्रता के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित जोखिम सीमा से अधिक है। अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण होने वाली दैनिक और वार्षिक मौतों का सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण शामिल हैं। ये हानिकारक कण मुख्य रूप से वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन से उत्पन्न होते हैं।
Air Pollution Deaths In India: बता दें कि देश के 10 शहरों- अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में साल 2008 से 2019 के बीच अध्ययन किया, इन शहरों में वायु प्रदूषण से प्रति वर्ष 33 हजार मौतें हुई हैं। अध्ययन में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी सहित शहरों के डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि PM2.5, छोटे प्रदूषक जो फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, का स्तर 99.8 प्रतिशत दिनों में WHO की सुरक्षित सीमा 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक था।