नई दिल्ली : Unified Pension Scheme काफी समय से नई पेंशन स्कीम (NPS) और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर कर्मचारियों के बीच चर्चा चल रही थी। इस दौरान सरकार के खजाने पर बढ़ते दवाब के चलते ओपीएस को खत्म करके एनपीएस को लाया गया था। मगर उसका भी विरोध होता रहा जिसके बाद अब सरकार ने NPS से बेहतर स्कीम का दावा किया है, जिसको UPS कहा जा रहा है। आइए समझते हैं कि इनमें क्या फर्क है और इससे कर्मचारियों को कितना फायदा मिलेगा?
Unified Pension Scheme दरअसल कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने एक नई पेंशन स्कीम लाई है। इस स्कीम का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) का पहले चलन था, जिसे सरकार ने बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) लेकर आई थी। इसका काफी लम्बे समय से विरोध हुआ और लोग ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग करने लगे। किंतु सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को तो नहीं लाई, मगर एक नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लॉन्च कर दी।
पुरानी पेंशन योजना पहले ही सरकारी कर्मचारियों के काफी लोकप्रिय थी। क्योंकि इसमें अंतिम वेतन के आधार पर सुनिश्चित पेंशन मिलता था। फिर इस योजना को बदलकर नई पेंशन योजना लाई गई, जो 2004 के बाद शामिल हुए कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दी गई। NPS में पेंशन की गारंटी नहीं होती, बल्कि इसमें कर्मचारी और नियोक्ता के योगदान से एक कोष बनता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन दिया जाता है। इसमें निवेश के तहत लाभ की संभावना होती है, परंतु पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती। अब सरकार दावा है कि NPS में आ रही तमाम शिकायतों को UPS में दूर किया गया है। इसमें OPS की तरह ही सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है और इसे 2025 से लागू किया जाएगा। यूनिफाइड पेंशन स्कीम को एक बैलेंस्ड सॉल्यूशन के रूप में बताया जा रहा है। तो जानते हैं इन तीनों में क्या-क्या बदलाव हुए।
Unified Pension Scheme यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त को मंजूरी दी। इसमें रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन की सुविधा मिलेगी। UPS को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही नई पेंशन योजना (NPS) में सुधार की मांग के जवाब में यह फैसला लिया गया है। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, सरकारी कर्मचारियों की NPS में सुधार की मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी ने विचार करने के लिए अप्रैल 2023 में टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। व्यापक चर्चा के बाद, जिसमें JCM भी शामिल था, समिति ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम की सिफारिश की और आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी है।
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1. निश्चित पेंशन : UPS के तहत, कर्मचारियों की पेंशन उनकी रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50% होगी, यदि उन्होंने न्यूनतम 25 वर्षों की सेवा की हो। यदि सेवा की अवधि कम है, तो यह पेंशन अनुपातिक होगी और न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा के लिए पेंशन का प्रावधान रहेगा।
2. निश्चित पारिवारिक पेंशन : UPS के तहत पारिवारिक पेंशन भी दी जाएगी, जो कर्मचारी के मूल वेतन का 60% होगी। यह पेंशन कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद उनके परिवार को दिया जाएगा।
3. न्यूनतम पेंशन का प्रावधान : इस योजना के तहत यदि कोई कर्मचारी कम से कम 10 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगा।
4. महंगाई का समायोजन : इस योजना में पेंशन पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन पर मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजन का प्रावधान भी है।
5. ग्रेच्युटी : UPS के तहत रिटायरमेंट के वक्त एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। जो कर्मचारी के अंतिम वेतन (मूल वेतन + महंगाई भत्ता) का 1/10वां भाग होगा। यह भुगतान हर 6 महीने की सेवा के लिए होगा और यह पेंशन की राशि को कम नहीं करेगा।
Unified Pension Scheme सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह चयन करने का अधिकार होगा कि वे NPS में बने रहें या UPS में शामिल हों। कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा, यह योजना जो 2004 के बाद से NPS के तहत रिटायर हो चुके उन सभी पर लागू होगी। हालांकि UPS 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी, लेकिन 2004 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक NPS के तहत सेवानिवृत्त हुए सभी कर्मचारी UPS के पांचों लाभ के लिए पात्र होंगे। उन्हें पिछले पेंशन भुगतानों के समायोजन के बाद इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
जनवरी 2004 में NPS को सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सरकारी-प्रायोजित रिटायरमेंट योजना के रूप में लाया गया था। 2009 में इसे अन्य क्षेत्रों के लिए भी लाया गया। NPS सरकार और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित है और इसे रिटायरमेंट के लिए एक लॉन्ग टर्म, स्वैच्छिक निवेश योजना के रूप में तैयार किया गया है। NPS पेंशन की गारंटी और निवेश से लाभ की संभावना भी बनती है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी अपने जमा किए गए फंड एक हिस्सा निकाल सकता है और बाकी राशि मासिक आय के रूप में दिया जाता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद नियमित आय अथवा पेंशन तय हो जाती है।
नई पेंशन योजना (NPS) ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह ले लिया था। OPS कर्मचारी के अंतिम वेतन पर आधारित होती थी, इसलिए इसे परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली (DBPS) भी कहा जाता है। NPS को परिभाषित योगदान पेंशन प्रणाली (DCPS) कहा जाता है। इसमें नियोक्ता और कर्मचारी रिटायरमेंट के समय पेंशन का निर्माण करने के लिए योगदान करते हैं। जिससे एक में लाभ था, दूसरे में योगदान।
Unified Pension Scheme पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में निकाल सकते थे। वहीं NPS के तहत व्यक्ति अपने फंड का 60% रिटायरमेंट के समय निकाल सकता हैं और यह टैक्स-फ्री होता है। शेष 40% को एक वार्षिक प्रोडक्ट में बदल दिया जाता है, जो वर्तमान में व्यक्ति को उनके अंतिम वेतन का 35% पेंशन के रूप में दिया जा सकता है।
बता दें कि NPS केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल होने वाले सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है, जिसमें केंद्रीय स्वायत्त निकाय भी शामिल हैं, जो 1 जनवरी 2004 के बाद शामिल हुए हैं। जहां कई राज्य सरकारों ने NPS को अपनाया, तो कुछ ने पुरानी पेंशन योजना को बेहतर माना।
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