नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) रेलवे बोर्ड ने करीब ढाई महीने के इंतजार के बाद 23 मंडल रेलवे प्रबंधकों की नियुक्ति की है। नियुक्तियां बृहस्पतिवार से प्रभावी हो गईं।
किसी रेल मंडल के कामकाज को देखने के लिए नियुक्त मंडल रेलवे प्रबंधक (डीआरएम) का कार्यकाल दो साल का होता है जिसके बाद उनका जोनल मुख्यालय में उसके समान किसी पद पर या प्रोन्नति के साथ स्थानांतरण कर दिया जाता है।
बोर्ड ने संबंधित जोन के महाप्रबंधकों को जारी आदेश में उन्हें वर्तमान में सेवारत डीआरएम की जगह नए डीआरएम की नियुक्ति के फैसले से अवगत करा दिया है।
इन 23 मंडलों में- पश्चिम मध्य रेलवे में कोटा और जबलपुर, उत्तर पश्चिम रेलवे में अजमेर, पश्चिम रेलवे में रतलाम और मुंबई (बीसीटी), दक्षिण पश्चिम रेलवे में हुबली, मध्य रेलवे में सीएसटीएम, सोलापुर, नागपुर और पुणे, उत्तर रेलवे में अंबाला, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रायपुर, बिलासपुर और नागपुर, पूर्व तटीय रेलवे में वाल्टेयर, उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे में लुमडिंग, पूर्व रेलवे में मालदा, दक्षिण पूर्व रेलवे में चक्रधरपुर, पूर्वोत्तर रेलवे में लखनऊ और इज्जतनगर, दक्षिण मध्य रेलवे में गुंटकल और गुंटूर तथा दक्षिण पश्चिम रेलवे में बेंगलुरु हैं।
जिन वर्तमान डीआरएम का तबादला किया गया है, उनमें से कुछ ने कहा कि आदेश दो साल के कार्यकाल के बाद पदस्थापना की नियमित प्रथा के विपरीत करीब ढाई महीने की देरी से आया है।
कुछ मंडल प्रमुखों से बात करने के बाद, ‘पीटीआई’ ने 10 दिसंबर को इस बात को रेखांकित किया था कि समय पर रोटेशन में देरी से अनिश्चितता आती है और नई परियोजनाओं को शुरू करने सहित कार्य कुशलता में बाधा आती है।
ऐसे सुझावों को खारिज करते हुए, रेलवे बोर्ड ने कहा था कि ‘देरी’ का कार्य कुशलता से कोई लेना-देना नहीं है। उसने कहा कि नई पदस्थापना की प्रक्रिया चल रही है।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जिन मंडल प्रमुखों की जगह नए लोगों को नियुक्त किया गया है, उनकी नई पोस्टिंग का आदेश कुछ दिनों में जारी कर दिया जाएगा।’’
भाषा वैभव रंजन
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