कन्नूर/त्रिशूर (केरल), आठ नवंबर (भाषा) केरल की एक अदालत द्वारा कन्नूर के पूर्व अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) नवीन बाबू की मौत से संबंधित मामले में शुक्रवार को जमानत दिए जाने के कुछ घंटों बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता पी. पी. दिव्या जेल से रिहा हो गईं।
इतना ही नहीं, सत्तारूढ़ पार्टी ने यह कहकर उनके प्रति अपना समर्थन जताया कि वह दुश्मन नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ता हैं।
जेल से रिहा होने पर दिव्या ने कहा कि वह कन्नूर के पूर्व अतिरिक्त जिलाधिकारी नवीन बाबू की मौत से दुखी हैं और उन्होंने दावा किया कि वह भी उनके परिवार की तरह ही उनकी मौत की उचित जांच चाहती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कानून पर भरोसा है। मैं अदालत के सामने अपना पक्ष रखूंगी। मुझे विश्वास है कि मुझे अदालत के सामने अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका मिलेगा।’’
कन्नूर जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दिव्या ने कहा कि उन्होंने हमेशा अधिकारियों से ‘‘नेक मंशा’’ से ही बात की है।
इस बीच, माकपा की कन्नूर जिला इकाई के सचिव एम वी जयराजन ने ऐलान किया कि कन्नूर जिला समिति की सदस्य दिव्या को पार्टी के भीतर निर्वाचित पदों से हटा दिया जाएगा।
थालास्सेरी के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के. टी. निसार अहमद ने कन्नूर जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दिव्या को राहत प्रदान की।
दिव्या अब तक न्यायिक हिरासत में थीं और उन्होंने 29 अक्टूबर को अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नियमित जमानत के लिए याचिका दायर की थी।
दिव्या ने 14 अक्टूबर को कथित रूप से बिना आमंत्रण के एडीएम के विदाई समारोह में पहुंच कर चेंगलाई में एक पेट्रोल पंप की मंजूरी में कई महीनों की देरी को लेकर बाबू की आलोचना की थी। उन्होंने यह टिप्पणी भी की थी कि उन्होंने (बाबू ने) स्थानांतरण के दो दिन बाद ही इसकी मंजूरी दे दी।
उन्होंने यह संकेत दिया था कि वह अचानक मंजूरी दिए जाने के कारणों को जानती हैं।
अगले दिन बाबू कन्नूर स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए थे।
दिव्या की जमानत शर्तों में शामिल है कि वह कन्नूर जिला नहीं छोड़ेंगी, मामले में गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी और सोमवार को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होंगी।
अदालत ने उन्हें जमानत देते समय एक और शर्त यह रखी कि उनके लिए दो व्यक्तियों को जमानतदार बनना होगा।
उनके वकील ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि जमानत मिलना राहत की बात है, लेकिन अदालत के सामने बहुत सी बातें सामने आनी बाकी हैं। वकील ने कहा, ‘‘सच्चाई सामने आनी चाहिए।’’
सुबह अदालत का फैसला आने से पहले सत्तारूढ़ माकपा ने दिव्या के प्रति अपने समर्थन का संकेत देते हुए कहा कि वह पार्टी की काडर हैं, दुश्मन नहीं।
पार्टी के राज्य सचिव एम वी. गोविंदन ने कहा, ‘‘पार्टी का उद्देश्य कार्यकर्ताओं को खत्म करना नहीं बल्कि उन्हें सही राह दिखाना है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी नेताओं द्वारा दिव्या से मुलाकात करना गलत नहीं है। और जब वह जेल से बाहर आएंगी तो वे उनसे मिलेंगे।
त्रिशूर में संवाददाताओं से उन्होंने कहा ‘‘वह पार्टी की दुश्मन नहीं हैं। वह पार्टी की कार्यकर्ता हैं। जब कोई कार्यकर्ता गलती करता है तो पार्टी उसे सुधारेगी और आगे बढ़ेगी।’’
माकपा के राज्य सचिव ने यह भी कहा कि पार्टी ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह बाबू के परिवार के साथ है।
फैसले के बाद बाबू की पत्नी ने कहा कि यह परिणाम अप्रत्याशित है और परिवार अपने वकील से विचार-विमर्श के बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगा।
उन्होंने कहा कि वे अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।
दिव्या को जमानत दिए जाने का कन्नूर में पार्टी नेताओं ने स्वागत किया और कहा कि वह एक सहकर्मी हैं, जिन्होंने एक भूल की, लेकिन इसके लिए उन्हें खारिज या दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके (दिव्या) भी मानवाधिकार सहित कुछ अधिकार हैं।
पार्टी की जिला समिति के कुछ जिला नेता जेल के बाहर उनका इंतजार करते देखे गए, जहां उन्हें हिरासत में रखा गया है।
भाषा खारी रंजन
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