पूर्व पुलिस प्रमुखों के अनुसार पीड़ितों को नए आपराधिक कानूनों से त्वरित न्याय मिलेगा

पूर्व पुलिस प्रमुखों के अनुसार पीड़ितों को नए आपराधिक कानूनों से त्वरित न्याय मिलेगा

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  • Publish Date - July 4, 2024 / 05:10 PM IST,
    Updated On - July 4, 2024 / 05:10 PM IST

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सोमवार को देश में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों से पीड़ितों को त्वरित न्याय सुनिश्चित होगा। इन लोगों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के एक पूर्व प्रमुख भी शामिल हैं।

महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) संजीव दयाल ने कहा कि तीनों नए आपराधिक कानून पिछले कानूनों की औपनिवेशिक मानसिकता से ‘स्वागत योग्य बदलाव’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘ उनमें बलात्कार, छेड़छाड़ और बाल तस्करी पर चिंता जताते हुए महिलाओं के खिलाफ अपराध पर समुचित ध्यान दिया गया है। जांच में वैज्ञानिक सहायता के उपयोग से बेहतर सजा दर हासिल करने में मदद मिलनी चाहिए और अदालतों द्वारा स्थगन की सीमा तय करने से पीड़ितों को तेजी से न्याय मिलना चाहिए।’

दयाल एक समिति का हिस्सा थे, जिसमें सतीश साहनी, एमआर रेड्डी और एसएस पुरी सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ ही 2020 में महाराष्ट्र के तत्कालीन डीजीपी द्वारा नामित तीन युवा अधिकारी भी शामिल थे।

समिति ने पीड़ितों को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में लाने की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा, ‘यह देखना बहुत संतोषजनक है कि कई सिफारिशों को संहिताबद्ध किया गया है। अब कार्यान्वयन का जिम्मा एजेंसियों और अदालतों पर है।’

महाराष्ट्र के एक अन्य पूर्व डीजीपी ए एन रॉय ने भी दयाल की बात से सहमति जतायी और कहा कि ब्रिटिश युग की दंड संहिता की तुलना में नए कानूनों में पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण है।

रॉय ने कहा, ‘भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों का मकसद महिलाओं और बच्चों को इन मामलों में समय पर न्याय प्रदान करना और अधिक सज़ा दिया जाना है। इसें राष्ट्रीय सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने के साथ-साथ डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य समीक्षा भी पेश किया गया है।’

सीबीआई के पूर्व प्रमुख और मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सुबोध कुमार जायसवाल ने कहा कि नए कानून न्याय के लिए लोक केंद्रित दृष्टिकोण की ओर एक बड़ा बदलाव दर्शाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि न्याय सही तरीके से, समय पर और तेजी से हो। भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली अब पीड़ितों के लिए अधिक अनुकूल और न्यायोन्मुखी है तथा यह व्यापक विचार-विमर्श के माध्यम से हासिल किया गया परिवर्तन है।’

जायसवाल ने कहा कि नए कानून साइबर अपराधों के कारण उत्पन्न चुनौतियों का भी समाधान करेंगे।

भाषा अविनाश माधव

माधव