The family understood love, got married by making an idol after death.

प्रेमी जोड़े ने कर ली थी खुदखुशी.. अब जाकर परिवार को हुआ उनके मोहब्बत का अहसास.. पुतला बनवाकर रचाई दोनों की शादी.. पढ़िए अमरप्रेम की ये कहानी..

The family understood love, got married by making an idol after death.

Edited By :   Modified Date:  January 19, 2023 / 03:17 PM IST, Published Date : January 19, 2023/3:13 pm IST

The family understood love, got married by making an idol after death.

जीते जी जो बेपनाह मोहब्बत करते रहे, जिन्दा रहकर जो साथ जीना चाहते रहे. उनके बीच में परिवार और समाज की दीवार आ खड़ी हुई. ज़माना उन्हें जुदा करने की कोशिश करने लगे, दोनों की चाहत को ख़त्म करने की साजिश रचने लगा. लेकिन वो इश्क शायद सच्चा था, उन्होंने हार नहीं मानी और अपना रास्ता चुन लिया. उन्होंने तय कर लिया की साथ जी नहीं सकते तो शायद मरकर ही अमर हो जाए और फिर एक दिन दोनों दुनिया से रुखसत हो गए. लेकिन ये कहानी यहाँ ही ख़त्म नहीं हुई. आज उनकी मौत के एक साल बाद उनका प्यार फिर लौटा है लेकिन उनके दिलों में जिनकी नफरत ने उन्हें हमेशा के लिए जुदा कर दिया था.

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कहानी सुनने में फ़िल्मी लगती हैं लेकिन कभी-कभी हकीकत भी उन कहानियो से ज्यादा फ़िल्मी मोड़ ले लेती हैं. ऐसी ही एक कहानी सामने आई हैं गुजरता के तापी जिले में. जहाँ एक प्रेमी जोड़े के मौत के छह महीने बाद परिवार को उनकी मौत का ऐसा गम सताने लगा की उन्होंने दोनों प्यार करने वालो का पुतला बनवाया और उनकी शादी कराई. शादी भी ऐसी-वैसी नहीं बल्कि पूरे गाँव को बुलावा हुआ, दावत हुई, बारात निकली और पुतले की उस दुल्हन की विदाई भी हुई. पाणिग्रहण के इस दृश्य को जिसने भी देखा उसकी आँखों का पानी किसी जलधार की तरह बहता रहा.

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तापी के रहने वाले गणेश पड़वी और रंजना पड़वी एक दूसरे से प्यार करते थे. लेकिन परिवारों ने उनके रिश्ते को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया था. इसके बाद दोनों निराश हो गए थे. दोनों परिवारों के तानों ने भी उनकी परेशानी बढ़ा दी थी जिससे उनका दिल टूट गया. फिर प्यार के इन परिंदो ने अपनी इहलीला को ख़त्म करने का फैसला कर लिया. दोनों ने पेड़ में फंसा डालकर फांसी लगा खुदखुशी कर ली.

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घटना के एक साल बाद परिवार को अपनी गलती का अहसास हुआ. फिर परिजनों ने अनोखे तरीके से पश्चाताप करने का सोचा. उन्होंने इस जोड़े को एक करने का फैसला किया. परिजनों ने आदिवासी रीति-रिवाजों से शादी कराने का फैसला किया. मृत लड़के और लड़की मूर्ती बनाई गई. फिर 14 जनवरी को शादी की रस्मों को पूरा किया गया. परिवार ने पुतलों को दूल्हा और दुल्हन के रूप में सजाया था.

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