नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) संसद की एक समिति की शुक्रवार को होने वाली बैठक में पेड न्यूज, फेक न्यूज, कई टीवी न्यूज चैनलों द्वारा सनसनी फैलाने पर ध्यान केंद्रित करने और डिजिटल उभार तथा घटते पाठक वर्ग के कारण पारंपरिक अखबारों के संघर्ष जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति, बैठक में मीडिया के सभी रूपों से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा करने वाली है, जिसमें मीडिया से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि समिति महत्वपूर्ण और गंभीर खबरों की कीमत पर अपराध और ‘सेलिब्रिटी समाचारों’ को दिए जाने वाले असंगत कवरेज पर अपनी चिंताओं को भी रेखांकित कर सकती है क्योंकि कुछ चैनल टीआरपी पाने के लिए खबरों को सनसनी के रूप में पेश करने लगते हैं।
सूत्रों ने कहा कि संवेदनशील मामलों के मीडिया ट्रायल कई बार जनता में राय बनाने लग जाते हैं और उनके कानूनी पहलू को प्रभावित करते हैं, लिहाजा समिति इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
एक सूत्र ने कहा कि बैठक में टीवी पर होने वाली बहस अक्सर हो-हल्ला में तब्दील हो जाती है और साथ ही यह एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ उछालने का मंच भी बन जाता है, ऐसे में इस पर भी चर्चा हो सकती है।
सूत्र ने कहा कि मीडिया मालिकों, पत्रकारों और राजनीतिक इकाइयों के बीच हितों का टकराव खबरों की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है और मजबूत नियामक तंत्र के अभाव में कई बार नैतिक सीमाएं भी पार हो जाती हैं।
जिन अन्य प्रमुख मुद्दों के बारे में चर्चा हो सकती है, उनमें पत्रकारों और मीडिया घरानों द्वारा सामना की जाने वाली महंगी और लंबी कानूनी लड़ाई भी शामिल है, जो खोजी पत्रकारिता को हतोत्साहित करती है।
एक सूत्र ने कहा कि क्षेत्रीय और भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों के सामने गंभीर वित्तीय संकट और फर्जी खबरें, खासकर चुनावों के दौरान ‘तबाही’ ला रही हैं।
अन्य मुद्दे जो समिति का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं, उनमें विदेशों में स्थित बड़ी व्यवसायिक कंपनियों द्वारा सोशल मीडिया का नियंत्रण शामिल है क्योंकि यह समाज, राजनीतिक नेताओं, राजनीतिक दलों और यहां तक कि देश को एक अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है जब तक कि ठीक से विनियमित न हो।
सूचना एवं प्रसारण सचिव, प्रसार भारती के सीईओ, प्रेस रजिस्ट्रार जनरल और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष उन महत्वपूर्ण पदाधिकारियों में शामिल हैं, जिनके समिति के समक्ष उपस्थित होने की उम्मीद है।
प्रेस और पुस्तकों के पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867 के अधिनियमन के बाद से मीडिया से संबंधित कानूनों और अन्य तंत्र पर भी समिति में चर्चा हो सकती है। पीआरबी अधिनियम को बाद में प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक, 2023 से बदल दिया गया था।
सूत्रों ने बताया कि समिति की बैठक में भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के तहत काम करने वाली वैधानिक अर्ध न्यायिक संस्था भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के कामकाज पर भी चर्चा हो सकती है।
पीसीआई के मुख्य उद्देश्यों में प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करना और भारत में समाचार पत्रों व समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखना और उनमें सुधार करना शामिल है।
समिति ने अपनी पिछली बैठकों में कृत्रिम मेधा, ओटीटी प्लेटफार्मों के आने से पड़े प्रभाव और फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के तंत्र पर विचार विमर्श किया था।
भाषा ब्रजेन्द्र पवनेश
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