नई दिल्ली: 7th Pay Commission: वित्तीय वर्ष की समाप्ति के साथ सरकारी कर्मचारियों में अच्छे वेतन वृद्धि को लेकर उम्मीद बढ़ गई है। लेकिन इसी बीच विश्व भारती सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को प्रबंधन ने बड़ा झटका दिया है। विश्व विद्यालय प्रबंधन ने टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद फंड में कमी के चलते फरवरी माह के वेतन भुगतान में देरी हो सकती है।
प्रबंधन की ओर से सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह सभी संबंधितों की जानकारी के लिए है कि धन की कमी के कारण फरवरी 2020 की सैलरी मिलने में देरी होने की संभावना है। बता दें कि आमतौर पर विश्वविद्यालय के टीचिंग, नॉन टीचिंग और पेंशनभोगियों को महीने के आखिरी दिनों में वेतन का भुगतान कर दिया जाता है। लेकिन इस बार धन के आभाव में कर्मचारियों को वेतन भुगतान में देरी हो सकती है।
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि हमें जनवरी के लिए वेतन अनुदान नहीं मिला, लेकिन हमारे कर्मचारियों को एडमिशन फंड जैसे जमा पैसे का उपयोग करके भुगतान किया। इस बार हम अपने स्वयं के कोष से वेतन देने की स्थिति में नहीं हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, पहले, हमें वेतन के आधार पर सालाना 166 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती थी, लेकिन सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद बजट बढ़ गया है। उन्होंने कहा, ‘हमने छह महीने पहले 75 करोड़ रुपये का संशोधित बजट भेजा था। हालांकि, अभी सरकार को पैसे मंजूर करने बाकी हैं।
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