रांची, एक नवंबर (भाषा) झारखंड की राजधानी रांची के शांत क्षेत्र में दिवाली की रात ध्वनि प्रदूषण 65.88 प्रतिशत बढ़कर 74.65 डीबी (डेसिबल) तक पहुंच गया, जबकि इसकी स्वीकार्य सीमा 45 डीबी है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि हालांकि, 24 अक्टूबर को दर्ज दिवाली-पूर्व ध्वनि प्रदूषण के स्तर से तुलना करने पर इसमें 5.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार रांची के डोरंडा इलाके में पुराने उच्च न्यायालय परिसर को शांत क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां शाम छह बजे से मध्य रात्रि के बीच औसत ध्वनि प्रदूषण 74.65 डीबी दर्ज किया गया। क्षेत्र में 24 अक्टूबर को ध्वनि प्रदूषण का स्तर 70.91 डीबी दर्ज किया गया।
अल्बर्ट एक्का चौक के वाणिज्यिक क्षेत्र में ध्वनि स्तर औसत स्वीकार्य सीमा 60 डीबी के मुकाबले 21.71 प्रतिशत बढ़ गया।
दिवाली की रात इस क्षेत्र में 73.03 डीबी ध्वनि रिकॉर्ड की गई, जबकि महीने की शुरुआत में यह 68.65 डीबी थी।
व्यावसायिक क्षेत्रों में स्वीकार्य ध्वनि सीमा दिन के समय 65 डीबी तथा रात के समय 55 डीबी है।
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) ने चार स्थानों – पुराना उच्च न्यायालय (शांति क्षेत्र), अल्बर्ट एक्का चौक (व्यावसायिक क्षेत्र), अशोक नगर (आवासीय क्षेत्र) और तुपुदाना (औद्योगिक क्षेत्र) – पर शाम छह बजे से आधी रात तक ध्वनि के स्तर को मापा।
अशोक नगर में ध्वनि स्तर 52.28 डीबी दर्ज किया गया, जो इसकी स्वीकार्य सीमा से 4.56 प्रतिशत अधिक है। इसके विपरीत, तुपुदाना में 69.61 डीबी दर्ज किया गया, जो औसत स्वीकार्य सीमा 72.5 डीबी से कम है।
बोर्ड ने इस दिवाली पर पटाखे जलाने के लिए रात आठ बजे से 10 बजे तक दो घंटे का समय दिया था। विश्लेषक रामानंद अंजन ने बताया कि झारखंड में 125 डीबी से अधिक ध्वनि उत्सर्जित करने वाले पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
दिवाली के दिन राजधानी रांची की वायु गुणवत्ता भी खराब हो गई।
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