भारत पहुंचे 3 और राफेल, फ्रांस से बिना रुके भरी उड़ान, एयरफोर्स के पास अब 14 राफेल फाइटर जेट

भारत पहुंचे 3 और राफेल, फ्रांस से बिना रुके भरी उड़ान, एयरफोर्स के पास अब 14 राफेल फाइटर जेट

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  • Publish Date - April 1, 2021 / 04:12 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:00 PM IST

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना को 3 और राफेल की डिलीवरी मिल गई है। बुधवार को 3 और राफेल फाइटर जेट भारत पहुंच गए हैं। गुजरात के जामनगर बेस में बुधवार रात करीब 11 बजे इन विमानों ने लैंड किया। फ्रांस से निकलने के बाद बिना कहीं रुके तीनों जेट भारत पहुंचे हैं। रास्ते में UAE की मदद से इनमें एयर-टू-एयर री-फ्यूलिंग कराई गई।

 

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29 जुलाई को भारत को 5 राफेल फाइटर जेट्स का पहला बैच मिला था। इसके बाद 3 राफेल लड़ाकू विमानों का दूसरा बैच 4 नवंबर 2020 को आया था। तीसरे बैच के तहत 27 जनवरी को 3 राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंचे थे। इन जेट विमानों के साथ अब तक 11 राफेल विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है। भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट की डील की थी। इनमें 30 फाइटर जेट और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट जैसे सभी फीचर होंगे।

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भारत में राफेल की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। 11 राफेल तीन बैच में पहले ही फ्रांस से आ चुके हैं। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते में 7 और राफेल आ सकते हैं। इसके अलावा राफेल का ट्रेनर वर्जन भी भारत आएगा। तीनों नए राफेल की तैनाती अंबाला में होगी। यहां पर तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा। दिलचस्प बात ये भी है कि अंबाला एयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है। अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी।

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राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है।
ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।
इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है।
इसमें एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।
इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है।
इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।
इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।
राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है।
किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है।

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राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।
राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।
मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से लैस है
राफेल फाइटर जेट्स मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। उसे अपनी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किमी है। स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है।