ढाका : Attacks on Hindu in Bangladesh बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के विरोध में लोग ढाका की सड़कों पर उतरे और सुरक्षा की मांग की। उन्होंने कहा हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है। हिंदुओं पर घोर अत्याचार हुए, जमकर पीटा गया, उनके घरों को जला दिया गया और सामान लूट लिए गए। हम रात भर जागकर अपने घरों ओर मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं। मैनें अपने जीवन में ऐसा मंजर कभी नहीं देखा।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से देश के अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के साथ जबरदस्त हिंसा हो रही है। इसी बीच दो हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि बांग्लादेश के 52 जिलों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अब तक हिंसा की लगभग 205 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। द डेली स्टार समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद और बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को एक खुले पत्र में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया। यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ले चुकी है।
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Attacks on Hindu in Bangladesh उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सोमवार से अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर 52 जिलों में कम से कम 205 हमले दर्ज हुए हैं। वहीं जब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध चलते इस्तीफा दे दी और भारत चली गईं। एकता परिषद के तीन अध्यक्षों में से एक निर्मल रोसारियो ने कहा, “हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है। हम रात में जागकर अपने घरों और मंदिरों की रखवाली कर रहे हैं। मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा। हम मांग करते हैं कि सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करे।”
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता और बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद के अध्यक्ष बासुदेव धर द्वारा साइन किए गए पत्र में यूनुस का स्वागत एक नए युग के नेता के रूप में किया गया है। जो अभूतपूर्व छात्र और जनता के नेतृत्व वाले जन-विद्रोह से पैदा हुआ है। जिसका उद्देश्य एक समतापूर्ण समाज और सुधार की स्थापना करना है। पत्र में कहा गया है, “जब लोगों की जीत अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है, तो हम दुख भरी निगाहों से देखते रहे कि कैसे एक निहित स्वार्थी वर्ग अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा करके इस उपलब्धि को धूमिल करने की साजिश रच रहा है।”
इसमें कहा गया है कि चल रही सांप्रदायिक हिंसा ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और हिंदुओं के बीच भय, चिंता और अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दी है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय निंदा भी हुई है। लेटर का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, “हम इस स्थिति को तुरंत खत्म करने की मांग करते हैं।” साथ ही अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने और उसे लागू करने की मांग की है।