नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ्ज्ञ ही कोर्ट ने दोषियों के फांसी की सजा पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद भी दिल्ली के दरिंदों को कल फांसी होगी या नहीं इसे लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है।
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ऐसा इसलिए क्योंकि दोषी के पास अभी भी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का विकल्प बचा हुआ है। अगर राष्ट्रपति दया याचिका में क्षमा कर देते हैं तो फांसी नहीं होगी। अगर इसके विपतरीत राष्ट्रपति याचिका को खारिज कर देते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के तय तारीख और समय अनुसार ही फांसी दी जाएगी।
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2012 Delhi gangrape case: One of the convict Pawan’s curative petition has been dismissed by the Supreme Court. The petition had sought commutation of his death penalty to life imprisonment. pic.twitter.com/2KhruqyxVb
— ANI (@ANI) March 2, 2020
निर्भया की मां आशा देवी लगातार कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुई दुखी। फैसले से पहले कहा, ‘मैं 7 साल 3 महीने से संघर्ष कर रही हूं। वो कहते हैं हमें माफ कर दो। कोई कहता है कि मेरे पति, बच्चे की क्या गलती है। मैं कहती हूं कि मेरी बच्ची की क्या गलती थी?’
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वहीं, दूसरी तरफ एक अन्य दोषी अक्षय सिंह ने शनिवार को राष्ट्रपति के समक्ष फिर दया याचिका दायर की। निचली अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर तीन मार्च, सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की थी।
बताते चले कि तिहाड़ जेल में फांसी देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। रविवार शाम को पवन जल्लाद तिहाड़ जेल पहुंच गया। इससे पहले जल्लाद को 20 जनवरी को तिहाड़ जेल में बुलाया गया था। उसने एक दिन तिहाड़ में रुककर मानवरूपी पुतलों को फांसी पर लटकाने का अभ्यास भी किया था। लेकिन फांसी टलने से पवन को मेरठ लौटना पड़ा। अब पटियाला हाउस कोर्ट के नए डेथ वारंट के अनुसार निर्भया के चारों दोषियों को तीन मार्च सुबह फांसी पर लटकाया जाएगा।
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