नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को 2000 के नोट को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। लेकिन यह नोट 30 सितंबर 2023 तक वैध रहेगा। (2000 Currency Update News) भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को सलाह दी है कि वह तत्काल प्रभाव से 2000 के नोट जारी करना बंद कर दे। यानी जिनके पास इस समय तो हजार रुपए के नोट से उन्हें बैंक से एक्सचेंज करना होगा। ‘क्लीन नोट पॉलिसी’ के तहत यह फैसला लिया गया है। 5 साल के अंदर ही आखिरकार इस बड़े नोट को बंद करने का फैसला क्यों करना पड़ा, इसे लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। वही इस फैसले पर प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र ने कहा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी 2000 का नोट लाना ही नहीं चाहते थे। वे इस फैसले के सख्त खिलाफ थे।
बता दें कि जब नोटबंदी का फैसला लिया गया था उस समय नृपेंद्र मिश्र ही प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव थे। 2016 में की गई नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते थे कि इतना बड़ा नोट बाजार में उतरे। लेकिन शार्ट टर्म मूव के तौर पर इसे जारी करना पड़ा।उनके मुताबिक पीएम मोदी का मानना था कि 2000 का नोट, रोज के लेनदेन के लिए सही नहीं है।
यह एक बड़ी रकम होती है और इसे लेकर बाजार में उतरना लोगों के लिए आसान नहीं होता। क्योंकि दुकानदार इसे लेने से मना करते हैं। कारण है कि दुकानदार के पास भी इसका चेंज नहीं होता है। इसके अलावा यह कालेधन और टैक्स चोरी को भी बढ़ावा देता है। (2000 Currency Update News) वह हमेशा यही चाहते थे कि कम कीमत के नोट बाजार में हो, जिससे आम लोगों को कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े।
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आगे नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि आरबीआई ने 2000 के नोटों की छपाई पहले ही कम कर दी थी। इसके बाद 2000 के नोट लोगों के पास बहुत कम बचे थे। बहुत पहले से ही एटीएम से 2000 के नोट पर निकलने बंद हो गए थे। इन नोटों का पहले प्रसार कम किया गया और अब 30 सितंबर 2023 तक इन्हें पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया गया है। नृपेंद्र मिश्र के मुताबिक आरबीआई का यह कदम नोटबंदी जैसा नहीं है, बल्कि एक रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा है।