नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) दिल्ली सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में आरोपियों को बरी किये जाने के फैसलों को चुनौती देते हुए छह अपील दायर करेगी।
अदालत शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व सदस्य एस गुरलाद सिंह कहलों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 2018 में शीर्ष अदालत ने कहलों की याचिका पर उन 199 मामलों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था, जिनकी जांच बंद कर दी गई थी।
दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सोमवार को न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ को बताया कि बरी किये जाने वाले फैसलों को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का निर्णय लिया गया है।
दलील पर गौर करते हुए पीठ ने दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर अपील दायर करने का निर्देश दिया और कहा कि विशेष अनुमति याचिकाएं वर्तमान मामले के साथ संलग्न करने के लिए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखी जाएं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कहलों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फुल्का ने कहा कि निर्णयों से पता चलता है कि अभियोजन पक्ष की इस मामले में आरोपियों के साथ ‘मिलीभगत’ थी।
उन्होंने कहा, “ये सामान्य मामले नहीं हैं। इसमें मामले को छुपाया गया और राज्य ने उचित तरीके से मुकदमा नहीं चलाया। ये मामले मानवता के खिलाफ अपराध हैं।”
इससे पहले अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में आरोपियों को बरी किये जाने के खिलाफ अपील दायर नहीं करने पर दिल्ली पुलिस से सवाल किया था और कहा था कि अभियोजन ‘गंभीरता से किया जाना चाहिए, सिर्फ दिखावे के लिए नहीं।’
साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और सिख समुदाय के लोगों की हत्याएं हुई थीं।
हिंसा की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के दंगों के संबंध में दिल्ली में 587 प्राथमिकियां दर्ज की गईं, 2,733 लोग मारे गए थे। कुल मामलों में से लगभग 240 मामलों को पुलिस ने बंद कर दिया और लगभग 250 मामलों में लोगों को बरी कर दिया गया।
भाषा
नोमान अविनाश
अविनाश
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