अजय बहादुर की मुफ्त कोचिंग की बदौलत 19 गरीब छात्र नीट की परीक्षा में सफल, अब सभी बनेंगे डॉक्टर

अजय बहादुर की मुफ्त कोचिंग की बदौलत 19 गरीब छात्र नीट की परीक्षा में सफल, अब सभी बनेंगे डॉक्टर

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  • Publish Date - October 18, 2020 / 03:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

रायपुर। मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट के एग्जाम में ओडिशा के 19 ऐसे गरीब बच्चों ने भी परीक्षा में सफलता पाई है, जिनका परिवार आजीविका के लिए मजदूरी करता है, सब्जी व इडली-वड़ा बेचता है। ये सभी छात्र समाज के ऐसे तबके से हैं, जो बेहद गरीब व वंचित है। इन्होंने अपनी मेहतन और कड़े संघर्ष की बदौलत इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता पाई है।

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ओडिशा स्थित एक चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस सभी छात्रों की पढ़ाई में मदद की। जिसे शिक्षाविद अजय बहादुर चलाते हैं। यह ट्रस्ट ओडिशा से प्रतिभाशाली वंचित छात्रों का चयन करता है और उनकी कोचिंग का खर्चा उठाता है। इस ट्रस्ट का मकसद समाज के वंचित तबके के छात्रों के डॉक्टर बनने के ख्वाब को पूरा करना है।

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पैसों के अभाव से अजय बहादुर का डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया था, जिसके बाद उन्होंने समाज के वंचित तबके के बच्चों के लिए इस तरह के ट्रस्ट की नींव रखी। उनका कहना है कि इस साल जिंदगी फाउंडेशन के 19 छात्रों ने नीट परीक्षा में सफलता पाकर इतिहास रचा है।
जिंदगी फाउंडेशन के संस्थापक अजय बहादुर सिंह ने कहा, मेरे पिता बीमार थे और हम उनके इलाज के लिए जरूरी दवाओं का खर्च नहीं उठा सकते थे, इसलिए मैं अजीबोगरीब काम करता था और अपनी मेडिकल पढ़ाई नहीं कर सका। अब मैं अन्य राज्यों के छात्रों को भी इस फाउंडेशन में जोड़ने की कोशिश करूंगा। 

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जिस तरह सुपर-30 के जरिए आनंद कुमार गरीब और जरुरतमंद छात्रों को सहारा देकर इंजीनियर बनाने में मदद करते हैं। उसी तरह ओडिशा के भुवनेश्वर में अजय बहादुर ऐसे ही छात्रों को डॉक्टर बनाने में कोई कसर नहीं थोड़ते। तीन साल से चली आ रही उनकी मेहनत आखिर रंग लाई। गरीबी और कोरोना को हरा कर इस साल उनकी संस्था ‘जिंदगी फाउंडेशन’ के सभी 19 छात्र नीट में सफल रहे। 2018 में 20 में से 18 और 2019 में सभी 14 छात्रों सफल हुए थे।

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अजय बताते हैं- मैं बच्चों की सामाजिक आर्थिक स्थिति देखने-परखने के बाद पारंभिक टेस्ट लेता हूं। उसके बाद उन्हें निशुल्क मेडिकल कोचिंग के साथ रहने, खाने और कॉपी किताब की सुविधा देता हूं ताकि ये डॉक्टर बन पाएं।

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जिंदगी फाउंडेशन में इस साल सफल होने वाली अंगुल जिले की खिरोदनी ने 720 में से 657 अंक हासिल किए हैं। उसके पिता मजदूरी करते हैं। सत्यजीत साहू ने 619 अंक लाए हैं। उसके पिता साइकिल से घर-घर जाकर सब्जी बेचते हैं। माता-पिता के साथ इडली-वड़ा का ठेला चलाने वाले सुभेंद्रु परिडा ने 609 और पान की दुकान चलाने वाले बासुदेव पंडा की बेटी निवेदिता ने 591 अंक हासिल किए हैं।