Maha kumbh Latest Update: कड़कड़ाती ठंड में 108 बार गंगा में डुबकी.. 7 पीढ़ियों का पिंडदान, महाकुंभ में नागा साधु बने 1500, जानें कैसे हुआ दीक्षा संस्कार

1500 people became Naga Sadhus by taking 108 dips in Ganga in freezing cold

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  • Publish Date - January 19, 2025 / 08:40 AM IST,
    Updated On - January 19, 2025 / 08:43 AM IST

महाकुंभ नगर: Maha kumbh Latest Update सबसे अधिक 5.30 लाख नागा संन्यासियों वाले जूना अखाड़ा में शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई और प्रथम चरण में 1,500 अवधूतों को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्री महंत चैतन्य पुरी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि गंगा के तट पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले चरण में 1,500 अवधूतों को नागा दीक्षा दी जा रही है। बताया जा रहा है कि 5000 हजार से लोग नागा दीक्षा लेंगे।

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Maha kumbh Latest Update उन्होंने बताया कि जूना अखाड़ा, संन्यासी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है। इस अखाड़े में निरंतर नागा साधुओं की संख्या बढ़ रही है। नागा संन्यासी बनने में सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना होता है और उसे तीन साल तक गुरुओं की सेवा करनी होती है और अखाड़ा के नियमों को समझना होता है। पुरी ने बताया कि इस अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। यदि अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु इस बात को लेकर निश्चिंत हो जाते हैं कि वह दीक्षा का पात्र हो गया है तो उसे ब्रह्मचारी से महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि महाकुंभ में गंगा किनारे उसका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार गंगा नदी में डुबकी लगवाई जाती है और अंतिम प्रक्रिया में उसका पिंडदान और दंडी संस्कार आदि शामिल होता है।

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पुरी ने बताया कि अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं। प्रयागराज के महाकुंभ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी और नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।

नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया क्या है?

नागा संन्यासी बनने के लिए साधक को तीन साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना, गुरुओं की सेवा करना और अखाड़ा के नियमों का पालन करना होता है। अंतिम प्रक्रिया में गंगा स्नान, पिंडदान, और दंडी संस्कार शामिल है।

जूना अखाड़ा क्या है और इसकी विशेषता क्या है?

जूना अखाड़ा सबसे बड़ा संन्यासी अखाड़ा है, जिसमें 5.30 लाख से अधिक नागा साधु हैं। यह अखाड़ा धर्म, आध्यात्मिकता, और नागा साधुओं की दीक्षा के लिए प्रसिद्ध है।

दीक्षा स्थान के आधार पर नागा साधुओं के नाम कैसे तय होते हैं?

दीक्षा स्थान के आधार पर नागा साधुओं के नाम तय किए जाते हैं: प्रयागराज: राज राजेश्वरी नागा। उज्जैन: खूनी नागा। हरिद्वार: बर्फानी नागा। नासिक: खिचड़िया नागा।

नागा दीक्षा की पहली चरण में कितने साधक शामिल होते हैं?

पहले चरण में 1,500 अवधूतों को दीक्षा दी जा रही है।

नागा संन्यासी बनने के लिए सबसे कठिन चुनौती क्या होती है?

नागा संन्यासी बनने की सबसे कठिन चुनौती ब्रह्मचर्य का पालन और अखाड़े के कड़े नियमों का तीन साल तक पालन करना है।