( गौरव सैनी व सागर कुलकर्णी)
नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) वर्ष 1875 में कुछ वर्षामापी यंत्रों से लेकर विश्व की सर्वश्रेष्ठ मौसम एजेंसियों से प्रतिस्पर्धा करने तक, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पूर्वानुमान लगाने में वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभाने का सफर तय किया है।
साल 1864 में विनाशकारी चक्रवात और 1866 एवं 1871 में सूखा पड़ने जैसी आपदाओं की वजह से अस्तित्व में आए आईएमडी की स्थापना के 15 जनवरी को 150 साल पूरे हो रहे हैं। इस अवधि में यह एक साधारण संस्थान से मौसम विज्ञान के अत्याधुनिक केंद्र में तब्दील हो चुका है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युजंय महापात्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “तत्कालीन भारत सरकार के पहले मौसम विज्ञान रिपोर्टर एचएफ ब्लैंडफोर्ड ने 77 वर्षामापी यंत्रों के आंकड़ों का उपयोग करके देश (अविभाजित भारत) का पहला वर्षा मानचित्र तैयार किया था… आईएमडी ने अपनी मामूली शुरुआत के बाद से एक लंबा सफर तय किया है।”
विभाग की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमडी 39 डॉपलर मौसम रडार, 15 मिनट में बादलों की जानकारी देने वाला इनसैट 3डी/3डीआर उपग्रह, और 806 स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस), 200 कृषि-एडब्ल्यूएस, 5,896 वर्षा निगरानी स्टेशन, 83 आकाशीय बिजली संबंधी सेंसर और 63 पायलट बैलून स्टेशन का एक मजबूत नेटवर्क है।
आईएमडी की प्रमुख प्रगति में तीव्र गंभीर मौसम आकलन (2015), छह मिनट का चक्रवात स्कैन (2018) और उन्नत उपग्रह प्रणाली शामिल हैं।
महापात्र ने कहा कि प्रेक्षण, संचार, मॉडलिंग और बुनियादी ढांचे में सुधार से मौसम और जलवायु सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, “ 2014 की तुलना में 2023 में मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं के लिए पूर्वानुमान सटीकता में लगभग 50 प्रतिशत का सुधार हुआ है। इससे मौसम की चरम घटनाओं के दौरान जान-माल की हानि में उल्लेखनीय कमी आई है।”
साल 2017 में एक दिन के मौसम पूर्वानुमान में सटीकता की जितनी दर थी, 2023 में उतनी दर पांच-दिवसीय पूर्वानुमान की है। चक्रवात के तट से टकराने के पूर्वानुमान अत्यधिक सटीक हो गए हैं, अधिकांश मामलों में शून्य त्रुटि देखी गई है।
भारी वर्षा के लिए 24 घंटे का पूर्वानुमान 80 प्रतिशत, गरज के साथ बारिश के लिए 86 प्रतिशत तथा गर्मी और शीत लहर के लिए 88 प्रतिशत सटीक है।
इस जानकारी को सरल भाषा में जनता तक पहुंचाने के लिए आईएमडी ने कई मोबाइल एप्लीकेशन जारी किए हैं। इनमें ‘मौसम’ ऐप भी शामिल है, जो देश के हर स्थान के लिए मौसम का पूर्वानुमान उपलब्ध कराता है।
आईएमडी ने यह सब कई विकसित देशों की तुलना में भारत के जटिल मौसम पद्धति के बावजूद हासिल किया।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि भारत के उष्णकटिबंधीय मौसम में अत्यधिक विविधताएं हैं, जिससे यूरोप के अपेक्षाकृत स्थिर मौसम पैटर्न की तुलना में देश के मौसम का पूर्वानुमान लगाना अधिक चुनौतीपूर्ण है।
उन्होंने कहा, “हमारी मौसम संबंधी चुनौतियां अधिक जटिल हैं। फिर भी, वैश्विक स्तर पर, आईएमडी शीर्ष तीन मौसम एजेंसियों में शामिल है, अन्य दो में, अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा और यूरोपीय मध्यम-रेंज मौसम पूर्वानुमान केंद्र हैं।”
महापात्र ने कहा कि 2010 में आईएमडी की चक्रवात पूर्वानुमान सटीकता अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा की तुलना में 50 प्रतिशत कम थी। उन्होंने कहा, “आज, हमारी पूर्वानुमान सटीकता अमेरिकी राष्ट्रीय हरीकेन केंद्र की तुलना में 30 फीसदी बेहतर है।”
आईएमडी न सिर्फ भारत को सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि उत्तरी हिंद महासागर के 13 देशों को चक्रवात पूर्वानुमान और चेतावनी तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) देशों को मौसम संबंधी सेवाएं भी प्रदान करता है।
यह नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और मॉरीशस को मौसम की चरम घटनाओं से होने वाली जान-माल की हानि को कम करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियां विकसित करने में सहायता कर रहा है।
भाषा
नोमान माधव
माधव