नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) संशोधित गोद नियम के तहत गोद लेने का आदेश जारी करने की जिम्मेदारी अदालतों की बजाय जिलाधिकारियों को दिये जाने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ने की चिंता के बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि जिलाधिकारियों के समक्ष केवल 139 मामले लंबित हैं।
उन्होंने कहा कि यह संख्या पिछले साल सितंबर में परिवर्तन के अमल में आने के समय लंबित 997 मामलों के मुकाबले काफी कम है। अधिकारी ने यह भी कहा कि संशोधित नियमों के लागू होने के बाद से कुल 2,297 गोद लेने के आदेश जारी किए गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सितंबर 2022 तक गोद लेने के लंबित 997 मामलों में से 858 मामलों में गोद लेने के आदेश जारी किए गए हैं और 20 जून तक लंबित मामले 139 थे।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2,191 बच्चे गोद लेने के लिए उपलब्ध हैं, जबकि देश में 30,217 भावी दत्तक माता-पिता (पीएपी) पंजीकृत हैं और 984 अंतर-देशीय पीएपी हैं।
राज्यों में महाराष्ट्र में गोद लेने के मामले सबसे अधिक हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में पिछले साल सितंबर तक 174 मामले लंबित थे और अब केवल 35 मामले लंबित हैं।
आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के बाद जिलाधिकारियों के समक्ष गोद लेने के सबसे ज्यादा मामले उप्र में 21, बिहार में 20 और ओडिशा में 15 हैं।
पूरे देश में गोद लेने के 359 मामले बाल कल्याण समिति के समक्ष और 332 मामले विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों के स्तर पर लंबित हैं।
भाषा संतोष पवनेश
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