Cyber Attack : नई दिल्ली। आजकल के बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की लत आम बात हो गई है। गेमिंग के चक्कर में आजकल के बच्चे कुछ भी कर जाते हैं। हाला ही में एक मामला आया था जिसमें एक 16 साल के लड़के ने ऑनलाइन गेम Pubg के चलते अपनी मां की हत्या कर दी थी। ऐसे कई मामले हैं जिसमें बच्चों ने ऑनलाइन गेम के चलते गलत कदम उठाए है। ऐसा ही एक मामला राजस्थान की राजधानी जयपुर से सामने आया है। जहां एक 13 साल के बच्चे ने अपने माता-पिता का मोबाइल हैक कर उनके अकाउंट से अश्लील पोस्ट करता था।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
दरअसल, राजस्थान की राजधानी जयपुर के हरमाड़ा थाने में एक सप्ताह पहले एक परिवार ने सोशल मीडिया अकाउंट हैक होने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद साइबर सेल ने परिवार के तीनों फोन जब्त कर जांच की। पता पता चला कि 8वीं में पढ़ने वाले 13 साल के बेटे ने ही इस घटना को अंजाम दिया है। छात्र ने घर में जगह-जगह चिप लगा दीं और घरवालों से कहा कि कोई उनकी जासूसी कर रहा है। इसके बाद मां-बाप के अकाउंट से अश्लील पोस्ट करना शुरू कर दिया।
बताया जा रहा है कि जब पुलिस ने बच्चे से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि हैकर के कहने पर उसने यह सब किया है। हैकर बोल रहा था कि जो मैं कह रहा हूं..अगर नहीं किया तो तेरे घरवालों को जान से मार दूंगा। 13 साल का ये बच्चा लगातार पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन जब उसकी काउंसलिंग की गई तब उसने चिप और मोबाइल के बारे में पूरी जानकारी दी।
मिली जानकारी के अनुसार बच्चा अपने चाचा के फोन पर दिनभर गेम खेलता रहता था। इस बीच उसके फोन पर एक लिंक आया। बच्चे ने उसे खोला और मांगी गई सारी डिटेल्स भर दी। मोबाइल नंबर तक और OTP भी शेयर कर दिए। साइबर ठगी तो नहीं हुई, लेकिन बच्चे ने चाचा के मोबाइल पर माता-पिता के सोशल मीडिया अकाउंट खोलकर अश्लील पोस्ट कर दी। पकड़े जाने के डर से दोस्तों के जरिए वॉट्सएप पर माता-पिता को धमकी भी दी।
बताया गया कि पहली बार ऐसा मामला सामने आया है। जांच में पाया गया कि बच्चे ने अपने परिवार वालों के मोबाइल फोन हैक करने के लिए मोबाइल हैकिंग ऐप इंस्टाल किया। इसके बाद फोन पर तरह-तरह के एनीमेशन आने लगे। उसने मोबाइल का पूरा डेटा भी डिलीट कर दिया, ताकि मां-बाप को उसकी बात पर विश्वास हो जाए।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस प्रकार के बच्चों में गेमिंग डिसऑर्डर पाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज में गेमिंग डिसऑर्डर को शामिल किया है। इससे पीड़ित व्यक्ति का गेमिंग पर कोई नियंत्रण नहीं होता। वह गेम को ही प्राथमिकता देने लगता है। बच्चों में आक्रामकता, हिंसक, गुस्सैल होना और अवसाद इसके लक्षण हैं।