तंज का तीर…रमन पर निशाना! जुबानी जंग छत्तीसगढ़ को शराबबंदी की ओर ले जाएगा या उलझकर कहीं खो जाएगा?

तंज का तीर...रमन पर निशाना! जुबानी जंग छत्तीसगढ़ को शराबबंदी की ओर ले जाएगा या उलझकर कहीं खो जाएगा?

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  • Publish Date - July 12, 2021 / 05:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

रायपुर: भूपेश सरकार जब से सत्ता में आई है तब से शराबबंदी के मुद्दे पर वो विपक्ष के निशाने पर रही है। लेकिन अब कांग्रेस ने जवाबी हमला करते हुए पिछली बीजेपी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने 15 साल के कार्यकाल में केवल शराब बेचा, उनकी मेहनत के लिए उनका नाम पद्म पुरस्कारों के लिए नामित किया जाना चाहिए। मंत्री रविंद्र चौबे के इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया कि कांग्रेसी मानसिक रूप से विचलित हो गए हैं, इसलिए बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं। अब सवाल ये है कि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जारी जुबानी जंग छत्तीसगढ़ को शराबबंदी की ओर ले जाएगा या फिर सियासी घमासान में उलझकर कहीं खो जाएगा?

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छत्तीसगढ़ की शराब और शराबबंदी के मुद्दे पर एक बार फिर जुबानी जंग तेज है। राज्य में शराब बिक्री के लिए बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। वार-पलटवार की ये लड़ाई इस बार केंद्र सरकार की अनुशंसा पर शुरू हुई है, जिसमें सभी राज्यों से पद्म पुरस्कारों के लिए नाम की अनुशंसा मांगी गई है। इस पर छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को इसके लिए नामित किया जाना चाहिए। चौबे ने ने तंज कसा कि रमन सिंह के भागीरथ प्रयास के दम पर ही बीजेपी सरकार ने आबकारी राजस्व को तीन सौ करोड़ से 5 हजार करोड़ तक पहुंचाया है।

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सत्ता रूढ़ कांग्रेस ने शराब कारोबार के लिए रमन सिंह और उनके पिछले 15 साल कार्यकाल पर निशाना साधा, तो बीजेपी ने भी जवाबी पलटवार करने में देरी नहीं की। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हमारे समय में तो कोचिया प्रथा बंद हो गई थी, मगर अब सरकार के संरक्षण में घर घर शराब बिक रही है।

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जाहिर है कांग्रेस ने 2018 में अपने चुनावी घोषणापत्र में ऐलान किया था कि सत्ता में आने के बाद राज्य में पूर्ण शराबबंदी करेगी। लेकिन ढाई साल गुजर जाने के बाद भी उस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं लिया गया। शराबबंदी को लेकर बनी कमेटी भी अपना काम शुरू नहीं कर पाई है, जिसे लेकर सत्ता-पक्ष और विपक्ष एक दूसरे की नीति और नियत पर सवाल उठाते रहे हैं। हालांकि बीते दिनों पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पूरे प्रदेश में शराबबंदी संभव नहीं है। कुल मिलाकर अब जब चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है, तब कांग्रेस सरकार को शराबबंदी के मुद्दे पर जल्द जनता का भरोसा जीतना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी बार-बार इस दुखती रग पर हमला करती रहेगी।

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