ग्वालियर: ग्वालियर-चंबल अंचल से दो दिग्गज नेता अब देश का नेतृत्व कर रहे हैं, यहां की आवाम को भी अपने नेताओं से काफी उम्मीदें हैं। एयरपोर्ट विस्तार और नए एयरपोर्ट का मुद्दा काफी पुराना है। कई बैठकें हुई मगर नतीजा कुछ नहीं निकला। लेकिन सिंधिया के हाथों में नागरिक उड्डयन की कमान ने एक बार फिर उम्मीदों को हवा दे दी है। अंचल के लोग सपनों की उड़ान भरने को बेताब है।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया के नागरिक उड्डयन मंत्री बनते ही ग्वालियर-चंबल अंचल के सपने को मानों पंख लगने वाले हों, 20 साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर नए सिविल एयरपोर्ट को लेकर हलचल तेज हो गई है। मौजूदा एयरपोर्ट, एयरफोर्स की सीमा में है, इसलिए फ्लाइट संचालन के लिए दूसरे एयरपोर्ट जैसी यहां स्वतंत्रता नहीं है। फाइटर प्लेन की यहां हमेशा प्रैक्टिस होती है। ऐसे में चेंबर ऑफ कॉमर्स भी नए एयरपोर्ट की डिमांड काफी समय से कर रहा है। सिंधिया के मंत्री बनने के बाद एक बार फिर टीम जमीन तलाशने ग्वालियर पहुंची।
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इधर ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया एयरपोर्ट विस्तार के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम मुआयना कर चुकी है। टीम ने यहां बाईं तरफ मौजूद 40 एकड़ जमीन पसंद की है, लेकिन दाईं तरफ मूौजद 25 एकड़ जमीन को रिजेक्ट कर दिया है। ऐसे में अब नए एयरपोर्ट पर ज्यादा फोकस है…इसके लिए घाटीगांव इलाके की जमीन देखने की भी योजना है। वहीं भितरवार के करहिया और साडा में भी जमीन देखी गई है। पक्ष-विपक्ष भी नए एयरपोर्ट को ही ज्यादा महत्व दे रहे हैं।
एयरपोर्ट विस्तार और नए एयरपोर्ट को लेकर भले ही हलचल तेज हो गई है, लेकिन उड़ान भरने के रास्ते इतने भी आसान नहीं है। कहीं वन विभाग तो कहीं एयरफोर्स की NOC समस्या बन सकती है, लेकिन केंद्र और राज्य के सियासी समीकरण देखकर लगता है कि हर बाधाओं को पार कर ग्वालियर जल्द सपनों की उड़ान भरेगा।