रायपुर: कोरोना महामारी के चलते 11 महीनों तक बंद रहने के बाद छत्तीसगढ़ के स्कूल दोबारा खुले तो सही, लेकिन खुलते ही नई चिंताएं सामने आ गई है। राजनांदगांव ,अंबिकापुर और सूरजपुर में स्कूल के टीचर, कर्मचारी और छात्रों के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद एक बड़ी चिंता ये खड़ी हो गई है कि स्कूल खुला रहने दिया जाए या फिर से बंद कर दिया जाए। ताजा हालात को लेकर विपक्ष ने जहां राज्य सरकार की अधूरी तैयारी को लेकर हमला बोल दिया, वहीं सरकार इसे छात्र हित में लिया फैसला बता रही है। लेकिन बड़ा सवाल है कि कोरोना महामारी के बीच स्कूल खोलने में फैसला जल्दबाजी में लिया गया?
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छत्तीसगढ़ में स्कूल खुलते ही कोरोना के नए मामलों ने हाहाकार मचा दिया है। एक के बाद एक कई शहरों के स्कूल में बच्चे समते शिक्षक और स्टाफ के कोरोना पॉजिटिव केस मिलने से हड़कंप मच गया है। राजनांदगांव जिले के एक निजी स्कूल में 24 छात्र कोरोना पॉजिटिव मिले है, सूरजपुर जिले के मिडिल स्कूल में 2 बच्चे कोरोना से पीड़ित मिले हैं। वहीं अंबिकापुर सैनिक स्कूल में एक साथ 8 अधिकारी और शिक्षक के कोरोना संक्रमित मिलने से प्रशासन अलर्ट मोड में है। जिस तरह से प्रदेश में स्कूल खोले जाने के बाद संक्रमण के केस मिल रहें हैं, डॉक्टर अब अधिक सतर्कता बरतने की बात कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के बीच स्कूल खोले जाने और स्कूलों में कोरोना फैलने के बाद सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े होने लगे है। कोरोना महामारी के बीच स्कूल खोलने में फैसला जल्दबाजी में लिया गया..? कोरोना के खतरे से कैसे निपटेंगे स्कूल? संक्रमण बढ़ा तो क्या है बी-प्लान? क्या हालात के आकलन में चूक गई सरकार? सवाल ये भी कि अगर ऐसे ही केस मिले तो, क्या फिर बंद होंगे स्कूल? जाहिर है ऐसे कई सवाल है, जिन्हें लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है।
हालांकि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव विपक्ष के इन आरोपों को सही नहीं मानते। उनका कहना है कि सतर्कता के साथ पढ़ाई भी जरूरी है। जाहिर है राज्य सरकार ने कोरोना की तमाम गाइडलाइन के साथ 9वीं से 12वीं क्लास तक के छात्रों को खोलने का आदेश दिया था। राजनांदगांव, अंबिकापुर और सूरजपुर के स्कूल में कोरोना के केस सामने आने के बाद आईबीसी24 की टीम ने राजधानी रायपुर के अलग-अलग स्कूलों का जायजा लिया। क्लास रूम में बच्चे तो दिखे, लेकिन सभी के चेहरे पर चिंता साफ-साफ नजर आई।