रायपुर। देश और दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है। भारत सरकार इस पर लगाम लगाने हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं दुनिया के अन्य देश भी भारत के नक्शे कदम में चलकर कोरोना से निपटने की रणनीति बना रहे हैं। इस बीच हम आपको सात समुंदर पार इंग्लैंड की एक रिपोर्ट बताते है कि आखिर कोरोना वायरस को लेकर इंग्लैंड ने कौन सी गलती कर दी, जिसकी वहज से वहां कोरोना को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।
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इंग्लैंड में मौजूद मधु चौरसिया ने कोरोना को लेकर खास रिपोर्ट पेश की है। उन्होंने इंग्लैंड में कोरोना को लेकर जो मौजूदा हालात है इसकी जानकारी दी। वहीं उन्होंने बताया कि कौन सी गलती की जिसके चलते आज कोरोना मरीजों की संख्या 65 हजार से ज्यादा हो गई है।
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इंग्लैंड की रेडिंग्स शहर में मौजूद मधु चौरसिया ने बताया कि यहां 65 हजार से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित है। 7900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 135 ठीक हो गए हैं। यूके ने कई सारी गलतियां भी की है। जैसे टेस्टींग की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई।
ये गलती इंग्लैंड को पड़ी भारी
अगर आपको कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो घर पर सेल्फ आईसोलेटेड की सलाह दी जाती है। लेनिका उनका यहां टेस्ट नहीं हो पा रहा है। यहां स्टाफ के भी टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में जिनकी हालात बेहद खराब है। उन्हें ही हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है। अगर ये चीजे शुरू में की जाती तो शायद बचने की संभावना बढ़ जाती थी।
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भारत में शुरू से ही लॉकडाउन की स्थिति कर दी गई। जो बहुत ही अच्छी है। लोग घर में रहेंगे, तो ये चैन ब्रेक जल्दी होगा। यहां पर चैन ब्रेक होना टाइम लगा क्योंकि लॉकडाउन काफी बाद लिया गया। ये सारी चीज की वजह से यहां कोरोना का प्रभाव फरवरी में ही ज्यादा देखे जाने लगा था। लेकिन मार्च 23 को यहां पर लॉकडाउन किया गया। जोकि काफी देर हो चुकी थी। ऐसे में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई। इंग्लैंड में भी हेल्थ वर्कर को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्टाफ की कमी है। ऐसे में वालिंटियर्स को हायर किया जा रहा है। जो कि कोरोना मरीजों की देख भाल कर सकेंगे।
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