ग्वालियर। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अब ग्वालियर- चंबल अंचल को टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने का प्लान बना रही है। अभी देसी पर्यटकों की पसंद के मामले में प्रदेश 8 वें स्थान पर है, वहीं विदेशी के मामले में 13 वीं रैंक है। यदि ग्वालियर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी सर्किट को हम टूरिस्ट हब बनाने में कामयाब रहे… तो करीब 50 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां मिलने लगेंगी। जो पूरे अंचल की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए काफी हैं।
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ग्वालियर-चंबल संभाग का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में चंबल नदी की आकृति उभर कर सामने आने लगती है। अगर रिवर टूरिज्म पर काम किया जाए तो टूरिज्म क्षेत्र में विकास होगा, क्योंकि मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है। अगर नदियों की बात की जाए तो सिर्फ चंबल नदी में डाल्फिन, घड़ियाल और मगरमच्छ अधिक संख्या में पाए जाते हैं। वहीं, चंबल से तीन राज्यों के पर्यटकों को जोड़ सकेंगे। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड यानि की एमपीटीबी इन बिंदुओं पर काम करे तो हम टूरिज्म क्षेत्र में विकास होते देखेंगे। हालकि अब शिवराज सरकार चंबल को टूरिज्म हब के रूप में डवलप करने पर विचार कर रही है।
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मध्यप्रदेश सरकार की मानें तो प्रदेश का टूरिज्म बोर्ड जल्द ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रिस्पॉसिंबल टूरिज्म मिशन लॉन्च करेगा। इसमें क्षेत्रीय लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा। खजुराहो ओरछा जैसी जगहों के आस-पास बसे गांव के लोगों को ट्रेंड और ग्रामीण पयर्टन का प्रमोशन किया जाएगा, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र का खान-पान,लोक नृत्य,लोक गीत,आर्ट को बढ़ावा देने की योजना है। जब भी कोई पर्यटक गांव में जाएगा वहां वो उत्सव का अहसास कर सकेगा।
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जानकार बताते हैं कि यदि ग्वालियर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी सर्किट को हम टूरिस्ट हब बनाने में कामयाब रहे तो करीब 50 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां मिलने लगेंगी जो पूरे अंचल की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए काफी हैं। क्योंकि यूपी में भी सर्वाधिक पर्यटक आगरा ताजमहल देखने पहुंचते हैं। यदि मध्य प्रदेश की सरकार ने थोड़ी सी भी दिलचस्पी दिखाकर आगरा में चंबल की ब्रांडिंग करके या बेहतरीन टूरिस्ट पैकेज स्कीम देने की शुरुआत की तो बड़ा हिस्सा हम ग्वालियर चंबल में खींचने में कामयाब हो जाएंगे।
वहीं सरकार की ये योजना कांग्रेस सिर्फ कागजी लगती है। उसके मुताबिक 15 साल में कुछ नही हुआ, तो अब सरकार क्या करेगीं।
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