#ThankYouCM : ’गोबर खरीदी’ को विपक्ष चारा घोटाले की तरह देखता है? रविंद्र चौबे बोले- उनके चश्मे से किसानों का फायदा दिखाई नहीं दे रहा तो ये उनका दुर्भाग्य

#ThankYouCM : ’गोबर खरीदी’ को विपक्ष चारा घोटाले की तरह देखता है? रविंद्र चौबे बोले- उनके चश्मे से किसानों का फायदा दिखाई नहीं दे रहा तो ये उनका दुर्भाग्य

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  • Publish Date - December 20, 2020 / 10:48 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार का दो साल के कार्यकाल पूरा होने पर हमारे चैनल #IBC24 ने रविवार को एक खास कार्यक्रम #THANKYOUCM का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू सहित प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने शिरकत की। इस आयोजन के दौरान कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने #IBC24 के सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।

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प्रश्नः छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी की जो बात हुई थी क्या इसकी गति से आप संतुष्ट हैं? विपक्ष आप पर आरोप लगाता है कि कुछ हो नहीं रहा है। खासकर जो आपने गोबर की खरीद शुरू की है, विपक्ष उसे चारा घोटाले की तरह घोटाला देखता है। आप इस पर क्या कहेंगे?

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जवाबः विपक्ष की बातों में ज्यादा टिप्पणी करने लायक ज्यादा कुछ बचा नहीं है। छत्तीसग़ढ़ की जनता ने विपक्ष को विधानसभा के एक कोने में समेट कर रख दिया है, कभी दिखते भी नहीं है। लेकिन जनता के सामने दिखने के लिए कुछ बातें कहते हैं। अब गोबर के बारे में उनके एक विद्वान साथी ने व्यंग्य किया था, अभी-अभी माता कौशल्या के बारे में टिप्पणी की है। मुझे लगता है नागपुर से संदेशा आने के बाद ऐसी बातें कहने की उनकी आदत सी हो गई है। लेकिन गोबर के बारे में आपको कुछ बातें बताना चाहता हूं। छत्तीसगढ के लोगों के लिए इससे बड़ी कोई योजना हो नहीं सकती। 60 करोड़ रुपए गोपालकों के खाते में ट्रांसफर किया जा चुका है और  ऐस भी गोपालक जिनके पास एक ही गाय है। ऐसे लोग जिनके पास जमीन नहीं है, वो टोकरी उठाकर गोबर बीनने का काम करता है। उसे भी उतना ही पैसा मिलता है, जितना इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ तय किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों का सम्मान कितना रखा है 500 रुपए प्रति महीना। निराश्रित पेंशन से भी कम। लेकिन छत्तीसगढ़ का गरीब किसान, जिसके पास एक गाय नहीं है, एक एकड़ खेत नहीं है, वो गोबर बीनकर 500 रुपए प्रति दिन कमाता है। ये इतनी बड़ी इकॉनमी है। इस योजना की शुरुआत हरेली के दिन से हुई है और चौथे महीने में गोपालकों को 60 करोड़ रुपए का गोबर खरीदी की जा चुकी है। अंदाज लगाइए साल भर में 450 से 500 करोड़ रुपए की गोबर की खरीदी होगी। वर्मी कंपोस्ट 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकेगी। इसका मतलब ये है कि 1500 करोड़ रुपए की इकॉनमी गरीबों के जरिए और गोधन न्याय योजना के जरिए होगी। हमारे मुख्यमंत्री ने कहा है कि गोपालकों के खाते में हर 15 दिन के भीतर भुगतान किया जाए और ऐसी स्थिति में भी हम 15वें दिन भुगतान कर देते हैं। अब इसके बाद भी अगर विपक्ष के चश्मे सें दिखाई नहीं दे रहा है तो ये उनका दुर्भाग्य है। पूरा ये मिशन ही हिंदूस्तान में चलाया जा रहा है। बापू का भी ये सपना था, जिसका हम अनुसरण कर रहे हैं। जैविक खेती की दिशा में छत्तीसगढ़ बढ़ रहा है। 11 हजार गौठानों में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण होगा, तो जितनी मात्रा में निर्माण होगा पहला हक छत्तीसगढ़ के किसानों का होगा। 

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एक बात और जान लें गौठान बनाने का पैसा सरकार दे रही है। गोबर खरीदने का पैसा सरकार दे रही है। वर्मी टांके बनाने का पैसा सरकार दे रही है। गौठान समिति के लोगों को पैसा सरकार दे रही है। लेकिन जैसे ही वर्मी कंपोस्ट को बेचते हैं पैसा सीधा गांव की स्व सहायता समूह की महिलाओं के खाते में जाएगा। इतनी बड़ी न्याय योजन की कल्पना पूरे हिंदूस्तान में कोई नहीं कर सकता। अभी झारखंड के कृषि मंत्री छत्तीसगढ़ आए थे, उन्होंनें गोधन न्याय योजना को देखा है। इस योजना को अन्य राज्यों ने भी मंगाया है। आने वाले दिनों में इस योजना को पूरा हिंदूस्तान स्वीकार करने वाला है।

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