रायपुरः छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार के दू बछर के कार्यकाल पूरा होए म IBC24 ह खास कार्यक्रम #ThankYouCm करवाए हे। ये कार्यक्रम म छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल, रविंद्र चौबे, ताम्रध्वज साहू सहित छत्तीसगढ़ सरकार के जम्मो मंत्री मन आए रिहिन। कार्यक्रम म जम्मो मंत्री मन आईबीसी 24 के सवाल के खुल के जवाब दिन। सीएम भूपेश बघेल घलो अपन ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज म अपन बात ल रखिन
प्रश्नः जब आप मन कहत रहेव लोगन ल नरवा, गरवा ल समझाए ल पड़िस, तीजा पोरा ल घलो समझाए ल पि़ड़स होही। छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़िया अउ छत्तीसगढ़ी ल शासन के केंद्र में लाए के प्रयास करेव पिछले दू बछर ले, छत्तीसगढ़िया मन ल यहु लगिस कि उखर स्वाभिमान के रक्षा करइया कोई आगे। एखर पहिली तीजा-पोरा नइ होत रिहिस आप मन छुट्टी दे देव, हरेली, गेंडी, भौंरा चलावत हो, खुर्मी, ठेठरी अउ पपची ये सब ल आप पुनर्जीवित करे के प्रयास करेव। त आप ल लगथे का छत्तीसगढ़ सरकार बनिस बछर 2000 म ये प्रयास होए रतिस त जादा विकास होतिस?
जवाबः बिल्कुल सही बात हे। पुरखा जेन सोचे रिहिस, जेन सपना देखे रिहिस कि छत्तीसगढ़ राज बनहि त का हो ही? ओ सब सपना जेन ओमन देखे रिहिस तेखर शुरुआत करे में भी हमन ल 18 बछर अगोरे ल पड़ गे। हमर सरकार आइस त हमन तीजा के छुट्टी, हरेली के छुट्टी, छठ के छुट्टी, विश्व आदिवासी के छुट्टी अउ कर्मा जयंती के छुट्टी पहिली हमन ये सब ल करेन। पहिली तो अइसे होए कि नेता मन के मंच म काजू- किसमीस रखात रिहिस हे, फेर अब ठेठरी, खुर्मी, फरा अउ चिला रखाथे। ये सब के जब बात होथे तब छत्तीसगढ़िया मन ल लगथे कि ये सरकार हमर छत्तीसगढ़िया मन के सरकार हरे। ये प्रदेश हमर प्रदेश हरे…नइ त समझे नहीं आवत रिहिस कि ये प्रदेश काखर बर बने हे।
आज मंत्रालय में चल दे…पहिली तो बड़े-बड़े अधिकारी मन छत्तीसगढ़ी ल छोड़ देव..हिंदी में घलो नइ बात करें। अंग्रेजी के अलावा कोई दूसरा भाषा में बात नइ करें। अब तो अधिकारी मन लिख के ला के आभार जतावत हे, स्वागत भाषण देना हे, तेला घलो छत्तीसगढ़ी में लिख के लाथे, अउ भाषण देथे। चाहे वो कोनो प्रदेश के रहवइया रहाए। छत्तीसगढ़ी भाषा में मिठास बहुत हे, जब छत्तीसगढ़ी म बात करबे त ओमा दूरी खतम हो जथे। ओमा अपनत्व के भाव आथे, तेखर सेती ये सब चीज जरूरी रिहिस। आज चाहे नेता हो, अधिकारी कर्मचारी हो जम्मो एके बोली भाखा म बात करत हे त अपनत्व आथे। एखर महत्व अतके हे। छत्तीसगढ़ी म एक जुड़ाव होथे चाहे खान-पान के बात होए, चाहे रहन सहन के बात होए, उही पाएके तो केहे जाथे ’छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’। नारा फोकट बर थोड़े बने हे। हमला बताना हे कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया हन।
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आजे के दिन गांधीजी के छत्तीसगढ़ आगमन के 100 साल पूरा होए हे। आजे के दिन गांधीजी छत्तीसगढ़ आए रिहिस, कंडेल नहर सत्याग्रह करे रिहिस हे। अउ बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव ओला आमंत्रित करे रिहिस हे, धमतरी गे रिहिस, रायपुर के गांधी मैदान आए रिहिस, आनंद वाचनालय गे रिहिस, कंकाली पारा अउ आजाद चौक घलो गे रिहिस हे। त ये जोन हे तेला कइसे ढंग से हम सहेज के रखन, बताए के मतलब ये हे कि आजादी के लड़ाई म छत्तीसगढ़िया मन के योगदान कोइ कमती रिहिस का?
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी ह सविनय अवज्ञा आंदोलन के सुरुआत करे रिहिन, ओखर सबले बढ़िया उदाहरण कोइ हे त कंडेल सत्याग्रह हे। ओमन ह मनमाने भरना वसूली करिस, जमीन ल कुर्की कर लिस, गरवा मन ल कुर्की कर लिस, गरवा मन ल बजार में लेगिन। अंग्रेज मन बजार-बजार किंजर डरिस, फेर एक ठन बांड़ि बछरू ल नइ बेंच सकिस। त ये सविनय अवज्ञा आंदोलन के सबले बढ़िया उदाहरण बनिस। छत्तीसगढ़िया मन अइसने सबले बढ़िया नइ कहलान गा, हर युग में हर परिस्थिति में जेन बात ल कहिथन तेन ल करथन।