हिन्दी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक : CM भूपेश बघेल, पंडित माधवराव सप्रे जयंती समारोह का किया शुभारंभ | Symbol of Hindi national pride : CM Bhupesh Baghel Pandit Madhavrao Sapre Jayanti celebrations inaugurated

हिन्दी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक : CM भूपेश बघेल, पंडित माधवराव सप्रे जयंती समारोह का किया शुभारंभ

हिन्दी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक : CM भूपेश बघेल, पंडित माधवराव सप्रे जयंती समारोह का किया शुभारंभ

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:29 PM IST
,
Published Date: June 19, 2021 4:13 pm IST

रायपुर। पंडित माधवराव सप्रे की 150वीं जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज शाम ‘‘हिंदी का लोकतंत्र’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में शामिल होकर वर्षभर चलने वाले जयंती समारोह का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर हिंदी की वरिष्ठ साहित्यकार और भारतीय भाषा परिषद् की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी को वर्ष 2021 के पंडित माधवराव सप्रे छत्तीसगढ़ मित्र साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया। उनको यह सम्मान वागर्थ पत्रिका के निरंतर प्रकाशन, भारतीय भाषा परिषद् के माध्यम से हिंदी की अतुलनीय सेवा और साहित्यिक योगदान के लिए प्रदान किया गया। समारोह में मुख्यमंत्री बघेल ने पंडित माधवराव सप्रे पर केंद्रित ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ के विशेष अंक का विमोचन भी किया। उन्होंने राज्य सरकार की मदद से लगभग 6000 पृष्ठों के ‘पंडित माधवराव सप्रे साहित्य समग्र’ के प्रकाशन की स्वीकृति प्रदान की। समारोह का आयोजन छत्तीसगढ़ मित्र पत्रिका द्वारा संस्कृति विभाग की सहायता से किया गया।

Read More News: 6th pay commission: सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने को लेकर बड़ा फैसला, जुलाई से 11 हजार रुपए बढ़कर मिलेगी सैलरी 

सीएम बघेल ने अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि सप्रे जी मूलतः मराठी भाषी थे, लेकिन उन्होंने हिन्दी को अपना माध्यम बनाया था। हमारे लिए गौरव का विषय है कि सप्रे जी ने छत्तीसगढ़ में साहित्यिक पत्रकारिता की नींव सन् 1900 में रखी थी और पत्रिका का नाम ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ रखा था। उन्होंने हिन्दी की पहली कहानी ‘टोकरी भर मिट्टी’ के माध्यम से सामंती व्यवस्था के खिलाफ बिगुल फूंका था और अंग्रेजी उपनिवेश के खिलाफ जागरण की शुरूआत की थी। आजादी की लड़ाई के लंबे दौर में हिन्दी भाषा ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एकजुट करने का काम किया था। क्षेत्रीय भाषाओं और क्षेत्रीय अस्मिता का सम्मान रखते हुए हिन्दी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बन गई।

मुख्यमंत्री बघेल ने पंडित माधवराव सप्रे के 150वीं जयंती के अवसर पर उनका स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि किसी विभूति की 150वीं सालगिरह पर उनको याद करना यह बताता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने वेबिनार के विषय पर सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी मातृभाषा हिन्दी का आधार हमारे महान लोकतंत्र का आधार बन गया है। मैं कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान के लोकतंत्र का आधार हिन्दी का लोकतंत्र है। वैसे तो हमारी अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब हर भारतीय की अभिव्यक्ति की आजादी है। चाहे वे कोई भी बोली-भाषा बोलते हों, लेकिन बोली-भाषा, हिन्दी में समाहित होकर व्यापक समाज की भाषा बन जाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी को ही लीजिए, उसकी जैसी हमारी बहुत सी बोलियां और भाषाएं हिन्दी वर्णमाला के साथ चलती हैं। स्थानीय अथवा क्षेत्रीय भाषा जनता की ताकत होती है, जिसमें वह अपने आप को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करती है, अपने अधिकारों की बात कर सकती है।

Read More News: वीरांगना पर दंगल क्यों…आमजन को इससे क्या हासिल होगा?

मुख्यमंत्री बघेल कहा कि जब हम छत्तीसगढ़ी अस्मिता की बात करते हैं तो वह हिन्दी अस्मिता से अलग नहीं होती, बल्कि उसका विस्तार होती है। आज यह छत्तीसगढ़ में अभिव्यक्ति का बड़ा औजार बन गई है। हिन्दी ने अभिव्यक्ति के इतने माध्यम गढ़े हैं कि हिन्दी के बिना लोकतंत्र की कल्पना अधूरी लगती है। हमारे देश के व्यापक जनमानस में अगर कोई बसना चाहता है तो उसे हिन्दी की शरण में आना पड़ता है, चाहे वह दुनिया का कोई महान व्यक्ति हो या बाजार की कोई शक्ति। हिन्दुस्तान के लोगों के मन को प्रभावित करने के लिए हिन्दी में आना पड़ेगा। हिन्दी भाषा का फलक इतना विराट है कि हिन्दुस्तान का लोकतंत्र हिन्दी के लोकतंत्र से मजबूत होता है। हिन्दी एक तरह से हमारे जीने का आधार है, आजीविका का आधार है, तो हमारे अधिकारों का विस्तार भी है। हिन्दी से जुड़ने का मतलब जनभावना से जुड़ना है, जो हर भारतीय के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करती है।

वेबिनार में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने पंडित माधवराव सप्रे के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि वे एक ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु पूरे देश को जोड़ने का कार्य किया। उन्होंने अपनी रचना के माध्यम से हिन्दी भाषा को भी आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और संपादक श्रवण गर्ग ने ‘हिंदी पत्रकारिता का लोकतंत्र’ विषय पर वक्तव्य दिया। वेबिनार के प्रथम सत्र की अध्यक्षता कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा ने की। इस सत्र में डॉ. सुशील त्रिवेदी, बुल्गारिया से डॉ. आनंद वर्धन शर्मा, नार्वे से डॉ. शरद आलोक ने भी विचार व्यक्त किए।

 
Flowers