सत्ता के लिए संतों में घमासान, प्रवचन की बजाए हो रही दे दनादन की भाषा का उपयोग

सत्ता के लिए संतों में घमासान, प्रवचन की बजाए हो रही दे दनादन की भाषा का उपयोग

  •  
  • Publish Date - September 16, 2019 / 05:16 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

भोपाल। नेताओं की आपसी लड़ाई तो आपने कई बार सुनी और देखी भी होगी, लेकिन इन दिनों प्रदेश की सियासत में बाबा आपस में उलझते नजर आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में प्रचार कर चुके इन बाबाओं के बीच झगड़े मुख्य वजह सत्ता में भागीदारी है। सरकार ने कम्प्यूटर बाबा को मंत्री दर्जा दे दिया है। अब दूसरे बाबा भी मंत्री पद की चाह में है जो इन बाबाओं के झगड़े की मुख्य वजह है । नौबत यहां तक पहुंच गई है कि बाबा अब सरेराह एक दूसरे को पीटने की धमकी दे रहे हैं।

ये भी पढ़ें- बड़ी खबर, 3 गुना तक बढ़ सकता है ओला-उबर का किराया

सत्ता में भागीदारी को लेकर मध्यप्रदेश में साधू आमने- सामने है । सरकार बनाने के लिए सहयोग करने वाले संतो को अब सत्ता में भागीदारी चाहिए । लिहाजा संत नेताओं की तरह मंत्री पद पाने के लिए तपस्या भूलकर कुर्सी के लिए झगडे कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में सत्ता की मलाई चख चुके कम्प्यूटर बाबा को लेकर कांग्रेस के लिए प्रचार करने वाले दूसरे संत कम्प्यूटर बाबा के खिलाफ हैं। नाराज संतों का आरोप है की कम्प्यूटर बाबा खुद का प्रभाव कम न हो इसलिए उनके मंत्री पद की राह में रुकावट पैदा कर रहे हैं । ऐसे में संयम का पाठ पढ़ाने वाले सियासी संत अब एक दूसरे को मारने की धमकी दे रहे हैं। देव मुरारी बापू ने कम्प्यूटर बाबा को चेतावनी देते हुए कहा कि सुधर जाओ नहीं तो जूतों से मारूंगा । वहीं इस पर कम्प्यूटर बाबा के समर्थक बाली बाबा ने पलटवार करते हुए कहा कि कौन सा जूता सामने तो आए। कुल मिलाकर संतों के बीच लगातार घमासन की स्थिति बनती जा रही है।

ये भी पढ़ें- गृह मंत्री अमित शाह बोले- नॉर्थ-ईस्ट में हर बच्चे को सिखाई जाएगी हि…

संतों की सबसे बड़ी पैरोकार रही बीजेपी इस घमासान के लिए सरकार को जिम्मेदार बता रही है । बीजेपी का कहना है की संतों से चुनाव के समय किये वायदों को पूरा करना चाहिए। वहीं सरकार संतो को लेकर दुविधा में है।

ये भी पढ़ें- सेक्स रैकेट का पर्दाफाश, वाट्सएप के जरिए हुआ सौदा, पुलिस ग्राहक बनक…

मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने बाबाओं को मंत्री पद का दर्जा दिया है। जिसके बाद से मध्यप्रदेश में कई बाबाओं की तपस्या से मोहभंग कर राजनीति में मन लग गया है। इससे पहले भी कई संतों ने राजनीति में सीधे तौर पर प्रवेश किया है। मंत्री भी बने है पर मंत्री पद के दर्जे की बैकडोर से एंट्री ने संतों को सत्ता का ऐसा चस्का लगाया है की संत अब नेताओं को मात देकर प्रवचन के देने के बजाय एक दूसरे को धमकाने में लगे हैं।