ग्रामीण महिलाओं ने की लाखों की कमाई, होली के पहले घरों में बिखरे खुशहाली के रंग, कृषि विज्ञान केंद्रों के मार्गदर्शन से महिलाओं ने किया कमाल

ग्रामीण महिलाओं ने की लाखों की कमाई, होली के पहले घरों में बिखरे खुशहाली के रंग, कृषि विज्ञान केंद्रों के मार्गदर्शन से महिलाओं ने किया कमाल

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  • Publish Date - March 27, 2021 / 02:59 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

रायपुर। रंगों के पर्व होली में खुशियां बिखेरने में रंग और गुलाल का विशेष महत्व है, रसायनों से निर्मित रंग और गुलाल स्वास्थय के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह होते हैं। होली के पर्व को सुरक्षित और सेहतमंद बनाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने एक अभिनव पहल करते हुए प्राकृतिक वनस्पतियों से विभिन्न रंगों के हर्बल गुलाल बनाने की शुरूआत की है। कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संचालित 15 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल का निर्माण एवं विक्रय किया जा रहा है। इन कृषि विज्ञान केन्द्रों के मार्गदर्शन में विभिन महिला स्व-सहायाता समूह की महिलाओं ने 54 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया है जिसमें 25 क्विंटल हर्बल गुलाल के विक्रय से इन समूहों ने पौने सात लाख रु की आय अर्जित की है।

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उल्लेखनीय है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से जनजातीय उप-योजनान्तर्गत प्राप्त वित्तीय सहायोग से कृषि विज्ञान केंद्र, दन्तेवाड़ा द्वारा तथा कृषि विज्ञान केन्द्र बीजापुर, सुकमा, बस्तर, कोरिया, कोण्डागोंव, नारायणपुर, कांकेर, बलरामपुर, जशपुर, अम्बिकापुर बेमेतरा, जांजगीर-चाँपा, महासमुन्द एवं कोरबा द्वारा विभिन्न स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं स्व-सहायता समूहों द्वारा सिंदूर, हल्दी, लाल भाजी, पालक, चुकन्दर, पलाश के फूल, सेम के फूल एवं अन्य फूलों तथा सब्जियों की रंगीन पत्तियों को विभिन्न अनुपात में मिलाकर प्राकृतिक हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है। इन प्राकृतिक रंगों को अरारोट (तीखुर पावडर) में मिलाया जाता है। हर्बल गुलाल में अरारोट पावडर का उपयोग माध्यम के रूप में किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा समय-समय पर महिला स्व-सहायता समूहों को हर्बल गुलाल बनाने, इसके प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। विभिन्न रंगों के हर्बल गुलाल निर्माण की तकनीक का विस्तार करते हुए ग्रामीण महिलाओं का समूह बनाया गया है, जिनके द्वारा लाल, गुलाबी, हरा एवं पीले रंग के हर्बल गुलाल तैयार कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा रही है। रायपुर स्थित विश्वविद्यालय उत्पाद विक्रय केन्द्र तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों में यह प्राकृतिक हर्बल गुलाल विक्रय हेतु उपलब्ध है।
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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र दंतेवाड़ा में झारा माता नंदपुरिन कृषक संगठन, झोडियाबालम, साई बाबा स्व-सहायता समूह, हराम एवं हिग्लाजिन स्व-सहायता समूह, कसोली द्वारा दंतेश्वरी हर्बल गुलाल के नाम से 12 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 7 क्विंटल का विक्रय कर 2 लाख 80 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केन्द्र बीजापुर में मां संतोषी महिला स्व-सहायता समूह संतोषपुर, मां शक्ति महिला स्व-सहायता समूह, संतोषपुर एवं मां दन्तेश्वरी महिला स्व – सहायता समूह, भोपालपटनम द्वारा 25 किलो हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा में मां दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह द्वारा 20 किलो हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र बस्तर एवं सतरंगी हर्बल गुलाल समूह, हलबाकछोरा द्वारा सतरंगी हर्बल गुलाल के नाम से 4.5 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 53 किलो का विक्रय कर 16 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है।
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कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया में कोरिया एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी द्वारा कर्मा अन्नातो सीड पावडर हर्बल गुलाल के नाम से 1.37 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 75 किलो का विक्रय कर 15 हजार 900 रु की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोण्डागांव में माँ शीतला स्व-सहायता समूह, झाटीबन, अलोर द्वारा 2.5 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 1 क्विंटल का विक्रय कर 30 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है। इसी प्रकार कृषि विज्ञान केन्द्र, नारायणपुर में राधा कृष्णा स्व-सहायता समूह, पालकी द्वारा 3.5 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 60 किलो का विक्रय कर 12 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर में कंचन महिला क्लस्टर संगठन, ग्राम बरदेवरी, जागरूक महिला स्व-सहायता समूह, ग्राम धनेलीकन्हार, महानदी महिला क्लस्टर संगठन, ग्राम मकदीखुना एवं जय माँ काली स्व-सहायता समूह, ग्राम सिंगारभांट द्वारा 5.5 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 5 क्विंटल का विक्रय कर 1 लाख 20 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है।
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कृषि विज्ञान केंद्र बलरामपुर में लक्ष्मी बाई महिला स्व-सहायता समूह, किरीकाछर, पार्वती महिला स्व-सहायता समूह, खारापारा एवं चमेली महिला स्व-सहायता समूह, खरसोटा द्वारा 1.5 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 1 क्विंटल का विक्रय कर 20 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केंद्र जशपुर में चांद स्व-सहायता समूह, बटईकेला एवं पार्वती स्व-सहायता समूह, महादेवडांड द्वारा 7 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 5.5 क्विंटल का विक्रय कर एक लाख 10 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान अम्बिकापुर में सुमित स्व-सहायता समुह द्वारा 2.9 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र बेमेतरा में जय माँ सरस्वती स्व-सहायता समूह, झालम, जय माँ सरस्वती स्व-सहायता समूह सारदा एवं अरपा पैंरी स्व-सहायता समूह, बेमेतरा द्वारा 1.32 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 70 किलो का विक्रय कर 9 हजार 860 रु की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर-चांपा में उज्जवला महिला संकुल संगठन, अकलतरा द्वारा उजाला हर्बल गुलाल के नाम से 2.5 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 40 किलो का विक्रय कर 12 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद में दुर्गा स्व-सहायता समूह, तुमगांव, लक्ष्मी स्व-सहायता समूह, तुमगांव, सिरपुर महिला स्व-सहायता समूह, तुमगांव द्वारा सिरपुर हर्बल गुलाल के नाम से 2.4 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 2 क्विंटल का विक्रय कर 40 हजार रु की आमदनी प्राप्त की है और कृषि विज्ञान केंद्र कोरबा में जननी महिला संकुल संगठन द्वारा 6 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार किया गया है और अब तक 60 किलो का विक्रय कर 7 हजार 200 रूपये की आमदनी प्राप्त की है।
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