गरीबों के मकान में डाका? सरकारी नौकरी वाले ही नहीं आलीशान बंगले के मालिक को भी अलॉट हुआ BSUP क्वार्टर

गरीबों के मकान में डाका? सरकारी नौकरी वाले ही नहीं आलीशान बंगले के मालिक को भी अलॉट हुआ BSUP क्वार्टर

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  • Publish Date - July 5, 2021 / 06:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

रायपुर: शहरी गरीबों के लिए बने बीएसयूपी मकानों का आवंटन एक बार फिर गंभीर अनियमितताओं के घेरे में हैं। रायपुर नगर निगम के अधिकारियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने मकान आवंटन में जमकर भ्रष्टाचार किया है। गरीबों की जगह ऐसे लोगों को मकान आवंटित किए गए, जो घर में फॉल सीलिंग से लेकर मॉड्यूलर किचन तक बनवा रहे हैं। पूरे सबूत के साथ इस भ्रष्टाचार का खुलासा राजधानी के ही एक कांग्रेसी नेता ने किया है। नगर निगम ने भी अब पूरे आवंटन के जांच के आदेश दे दिए हैं।

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ये रायपुर के मठपुरैना में बने अर्जुन इनक्लेव कॉलोनी का अपार्टमेंट है। जिसे शहरी गरीबों के लिए तैयार किया गया है। लेकिन इन फ्लैट्स का जो आवंटन हुआ है, वो बेहद चौंकाने वाला है। रायपुर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुमित दास का आरोप है कि यहां बने मकानों के आवंटन में जबरदस्त धांधली की गई है। आवंटन सूची सामने रखते हुए उन्होंने दावा किया कि एक ही परिवार में पति और पत्नी दोनों को अलग अलग मकान आवंटित किए गए हैं। जबकि ऐसा किया ही नहीं जा सकता, जिसे अब अंदर से तोड़कर बनाया जा रहा है। जिस मकान को केवल 20 हजार में गरीबों को दिया जाता है, उसे लेने वाले ना सिर्फ उसकी फॉल सीलिंग करा रहे हैं, बल्कि महंगी टाइल्स लगाकर मॉड्यूलर किचन तक बना रहे हैं। कई फ्लैट का आवंटन ऐसे परिवार को किया गया है, जो खुद सरकारी नौकरी कर रहे हैं या फिर शहर में ही जिनका आलीशान मकान और गाड़ी है। ब्लॉक अध्यक्ष ने पूरे सबूत के साथ इसकी शिकायत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से की है।

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सुमित दास की शिकायत पर प्रदेश अध्यक्ष ने नगरीय प्रशासन विभाग को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिया है। हालांकि, रायपुर महापौर का कहना है कि यदि सबूत के साथ उनके सामने शिकायत की जाती है तो वो तत्काल ना केवल अपात्रों का आवंटन रद्द कराएंगे, बल्कि दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। हालांकि अपर आयुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे आवंटन की जांच कराने के आदेश दे दिए हैं। 

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बीएसयूपी मकान के लिए शहरी गरीब होना एकमात्र पात्रता है, लेकिन जरूरी ये भी है कि हितग्राही 31 अगस्त 2015 से पहले से रायपुर में रह रहा हो। उसकी आय 3 लाख से ज्यादा नहीं हो और देश में कहीं भी उसके नाम से कोई मकान या जमीन नहीं हो। लेकिन आरोप और दस्तावेज से साफ है कि नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। 

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