भोपाल: नाम में क्या रखा है…काम बोलना चाहिए, लेकिन आज की पॉलिटिक्स देंखेंगे तो आप भी कहेंगे नाम में भरपूर सियासी स्कोप रखा है। इन दिनों प्रदेश की सियासत में नाम बदलने की होड़ लगी है। एक के बाद एक शहर, मोहल्ला, टीला, ब्रिज कई जगहों के नाम बदलने की मांग की जाती रही है। पहले कई भाजपा नेताओं ने इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद और उज्जैन समेत कई शहरों के नाम बदलने की वकालत की, तो अब कांग्रेस पार्टी ने भी ग्वालियर शहर का नाम बदलकर रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर करने की मांग कर दी है। वो भी उनके बलिदान दिवस पर जाहिर है इस पर वार-पलटवार और सियासी बयानों की बयार आनी ही थी।
मामले में भाजपा खुद असमंजस में दिखती है क्योंकि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर इस मांग को हास्यास्पद बता रहे हैं तो सांसद के पी यादव के मुताबिक जनभावना का सम्मान होना ही चाहिए। बड़ा सवाल ये कि इस मांग पर इस पर होती सियासत पर विराम कैसे लगेगा? उससे भी बड़ा सवाल ये कि आमजन को इससे क्या हासिल होगा?
बड़ी संख्या में लोग रानी लक्ष्मीबाई की बलिदान दिवस के मौके पर उनके समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। लेकिन खास बात ये रही कि इस बार श्रद्धांजलि देने वालों में ग्वालियर के कांग्रेस नेता भी पहुंचे, जो अब तक इस मौके से दूर ही रहते थे। रानी लक्ष्मीबाई को नमन करते हुए कांग्रेसियों ने सिंधिया परिवार पर जमकर बरसे। जबलपुर में भी कांग्रेस नेताओं ने वीरांगना लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर विधायक विनय सक्सेना ने कहा कि पूरा देश जानता है कि देश की आजादी की अलख जगाने वाली रानी लक्ष्मीबाई की पीठ पर छुरा किसने घोपा?
इन सबके बीच मध्यप्रदेश में एक बार फिर नाम बदलने की सियासत शुरू हुई। रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर कांग्रेस नेताओं ने ग्वालियर शहर का नाम बदलने की मांग की। वैसे मांग तो कांग्रेसियों ने की, लेकिन इसका समर्थन गुना के बीजेपी सांसद केपी यादव भी कर रहे हैं, जिन्होंने सिंधिया को चुनाव में हराया था। हालांकि बीजेपी नेता इसे केपी यादव का निजी विचार बता रहे हैं।
इधर कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित कर ग्वालियर का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई महानगर करने की मांग सीएम शिवराज से की है। कुल मिलाकर रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर एमपी में नाम बदलने की राजनीति में एक ओर डिमांड जुड़ गई। इस बार ये डिमांड बीजेपी ने नहीं बल्कि कांग्रेस की तरफ से है। बहरहाल नाम बदलने की सियासत में शामिल हुई कांग्रेस को रानी लक्ष्मीबाई के बहाने सिंधिया की घेराबंदी करने का एक और मौक मिल गया है।