आस्था के राम...क्यों सियासत करे बदनाम? | Ram of faith ... why should politics be bad?

आस्था के राम…क्यों सियासत करे बदनाम?

आस्था के राम...क्यों सियासत करे बदनाम?

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:18 PM IST
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Published Date: February 2, 2021 5:42 pm IST

भोपाल: आज का हमारा मुद्दा है तो आस्था से जुड़ा, लेकिन इन दिनों सियासतदानों को बेहद रास आ रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर और उसके लिए हो रही धन संग्रहण की। मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया ने बयान दिया कि बीजेपी के लोग राम मंदिर के नाम पर दिन में चंदा उगाही करते है और फिर शाम को दारू पी जाते है। बयान के बाद बीजेपी ने भूरिया और कांग्रेस पर चौतरफा हमला बोला। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर आस्था के ‘राम’ को सियासत कब तक ऐसे ही बदनाम करती रहेगी ?

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ऐसे में जब पूरे देश में राम मंदिर को लेकर समर्पण निधि जमा करने का काम चल रहा हो, इस तरह के बयानों पर बवाल मचना स्वभाविक हैं। दो बार केंद्रीय मंत्री एक बार प्रदेश अध्यक्ष और इस वक्त कांग्रेस के विधायक कांतिलाल भूरिया ने झाबुआ में राम मंदिर निर्माण को लेकर जमा हो रही राशि को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा, साथ ही उन्होंने अब तक इकट्ठा किए गए पैसे का हिसाब भी मांगा। झाबुआ में भूरिया के तेवर जितने तीखें थे कुछ घंटों बाद इंदौर में उनके सुर थोड़े नर्म जरुर दिखाई दिए।

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राम मंदिर को लेकर धन संग्रहण में कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभालने वाले कांग्रेस विधायक इसे बीजेपी की चुनावी सियासत से जोड़ रहे हैं। उनका आरोप है कि बीजेपी इस पैसे का इस्तेमाल चुनाव में करती है। आपको बता दें कि राम मंदिर के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए पीसी शर्मा ने मुहिम चलाई थी और खुद बैंक जाकर पैसे जमा करवाए थे।

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पूरे देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर श्रद्धा निधि का कार्यक्रम 27 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान कूपन के अलावा सीधे बैंक में पैसा जमा करवाने की व्यवस्था भी की गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद भी राम मंदिर के लिए चंदा दिया, लेकिन उन्होंने भी पुराने पैसे के हिसाब पर सवाल खड़े किए थे।

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