रायपुर: बीते दिनों विपक्षी नेताओं ने राजभवन जाकर राज्यपाल महोदया से मुलाकात की, कोरोना को लेकर कुछ अहम सुझाव दिए। खास बात कि ये मुलाकात तब हुई जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने विपक्षी नेताओँ से प्रत्यक्ष मीटिंग के बजाय वर्चुअल मीटिंग का प्रस्ताव रखा, जिसे ठुकराते हुए भाजपा ने इसे विपक्ष का अपमान बताया और सरकार के पास विपक्ष की बात सुनने का समय ना होने का आरोप लगाया। अहम बात ये कि इस कोरोना संक्रमण काल में जिस तरह राजभवन की सक्रियता रही है, उसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर चलता रहा है। अब भाजपा नेताओं की राज्यपाल से मुलाकात के बाद भी राजभवन की सक्रियता को लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं।
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कोरोना संक्रमण काल में राज्यपाल अनुसुईया उइके की सक्रियता छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारो में अक्सर चर्चा का विषय बनती रही है। राजभवन की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ दिनों में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सीएम भूपेश बघेल से लेकर कई मंत्रियों को पत्र लिखे। इतना ही नहीं राज्यपाल लगभग हर दिन वर्चुअल मीटिंग लेकर कोरोना संक्रमण से निपटने किए जाए रहे उपायों की समीक्षा कर रही है। राज्यपाल की इस सक्रियता को लेकर सियासी गलियारों में अलग-अलग राय है। कांग्रेस वरिष्ठ नेता और मंत्री रविन्द्र चौबे के मुताबिक राजभवन की अपनी गरिमा है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक मोहरे के रूप में नही किया जाना चाहिए जो इन दिनों बीजेपी कर रही है।
पहले भी कांग्रेस राजभवन को राजनीति का अड्डा बनाने के लिए बीजेपी को निशाने पर लेती रही है, दूसरी तरफ पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पलटवार कर कहा कि जब प्रदेश के मुखिया के पास मुख्य विपक्षी दल के नेताओं से बात करने का समय नहीं होगा, तो हमें राज्यपाल के पास जाना ही होगा। इसमें कैसी राजनीति? साथ ही ये भी कहा कि जब जनता के प्रति सरकार अपनी जिम्मेदारियां पूरी नही करती, तब राज्यपाल को हस्तक्षेप करना पड़ता है।
साफ है कि बीते दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विपक्ष के नेताओं से फेस टू फेस मिलने का समय ना देने को बीजेपी ने एक बड़ा सियासी मुद्दा बनाने का प्रयास किया है। वहीं, कोविड काल में पहले भी बढ़ते संक्रमण पर चिंता जताते हुए राज्यपाल का सीएम को पत्र लिखना हो या फिर लघु वनोपज की लक्ष्य से कम खरीदी पर वन मंत्री को पत्र लिखकर समाधान देने का निर्देश देना। हर बार राजभवन की सक्रियता दिखी है। सवाल ये कि क्या इस बार भी राजभवन सरकार को कोई एडवाईजरी जारी करता है? देखना ये भी है कि विपक्ष के राजभवन जाकर मुलाकात के बाद सत्तापक्ष इसका कैसे और क्या जवाब देता है?