रायपुर सहित प्रदेश के कई हिस्सों में हो रही बारिश, कृषि मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

रायपुर सहित प्रदेश के कई हिस्सों में हो रही बारिश, कृषि मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

  •  
  • Publish Date - February 18, 2021 / 03:49 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:35 PM IST

जशपुर: छत्तीसगढ़ ने करवट ली है, जिसके बाद प्रदेश के कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। राजधानी में भी शाम से बारिश हो रही है। वहीं, बगीचा, मनोरा क्षेत्र के 20 से ज्यादा गांव में बारिश हो रही है, जिसके चलते किसानों का फसला नुकसान हुआ है। बारिश के बाद जिला कलेक्टर महादेव कांवरे ने राजस्व विभाग को नुकसान के आंकलन करने का निर्देश दिया है।

Read More: सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर को Mumbai Indians ने 20 लाख रुपए में खरीदा

वहीं, कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने छत्तीसगढ़ के मैदानी भागों के लिए मौसम संबंधित पूर्वानुमान जारी की है। इसके अनुसार बालौद, रायपुर, दुर्ग, धमतरी एवं गरियाबंद जिलों में वायु की गति सामान्य से अधिक होगी। वायु की रफ्तार 5 से 6 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है। इसके साथ ही इन मैदानी भाग में आने वाले 3 से 4 दिनों में हल्की वर्षा का भी पूर्वानुमान है। परिस्थिति को देखते हुए रबी फसल के लिए किसानों को जरूरी सलाह दी गई है।

Read More: IAS अफसरों का तबादला, इन अधिकारियों को बनाया गया जिला पंचायत CEO

सलाह के अनुसार वर्तमान में होने वाली हल्की वर्षा गेहूँ फसल के लिए लाभदायक है, अतः पानी गिरने पर सिंचाई न करें। रबी फसल के अंतर्गत आने वाले चना एवं अन्य दलहन फसलों में कीड़े मकोड़े इत्यादि लगने की संभावना है। इसको देखेते हुए मौसम साफ होते ही अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। चने में इल्लियों के नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफास एवं साइपरमेथ्रिन मिश्रित कीटनाशक 400 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करंे। बादल छाए रहने के कारण धान की फसल में इल्लीयों का प्रकोप बढ़ सकता है इसलिए इसकी सतत् निगरानी करते रहे। इल्ली के प्रारम्भिक नियंत्रण हेतु एकीकृत कीट प्रबंधन जैसे फीरोमोन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों में किटहारी पक्षियों की खेती में सक्रियता बढ़ाने हेतु टी या वाय आकार की लकड़ियां 20-25 नग प्रति हेक्टर की दर से अलग-अलग स्थानों में लगाएं। सरसों फसल में माहू (एफिड) कीट की शिशु और वयस्क दोनों ही हानिकारक अवस्थाएं है। इस कीट की अधिक प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर 10-15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार दो से तीन बार छिड़काव करें। सरसों फसल में निचली पत्तियों पर रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेटालेकिसल एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। रोग की तीव्रता के अनुसार 10-12 दिन बाद एक छिड़काव और किया जा सकता है।

Read More: सीधी बस हादसे से सबक, कटनी में 100, रीवा में 70 बसों पर कार्रवाई, बिना परमिट के चल रहे थे सभी.. कई जब्त भी किए गए

सूरजमुखी फसल में पहली सिंचाई फसल बोने के 35-40 दिन बाद देना चाहिए एवं पहली सिंचाई के समय नत्रजन की शेष मात्रा डालनी चाहिए। पत्तियों पर भूरा धब्बा रोग दिखने पर ताम्रयुक्त फफूंदनाशी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। जिन किसानों ने खरीफ फसलों का भंडारण सही से नहीं किया है वे अपनी फसलों को तथा अगले वर्ष उपयोग में आने वाले बीज की सुरक्षा करें। रबी तिलहनी फसलों में कीड़े-मकोड़ें की वर्तमान मौसम को देखते हुए अधिक प्रकोप होने की संभावना को देखेते हुए अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। साफ मौसम में निंदाई कर भी सकते है। दलहनी फसलों में पीला मोजेक रोग दिखाई देने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा मेटासिस्टाक्स या रोगोर कीटनाशक दवा एक मि.ली. या एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दलहनी फसलों में उकठा (विल्ट) रोग दिखाई देने पर सिंचाई न करें अथवा स्प्रिंकलर द्वारा सिंचाई करें। बादल छाए रहने के कारण साग-सब्जियों में एफीड (मैनी) एवं भटा में फल एवं तनाछेदक लगने की संभावना को देखते हुए प्रारम्भिक कीट नियंत्रण हेतु एकीकृत कीट प्रबंधन का प्रयोग जैसे फीरोमोन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों में पक्षियों के बैठने हेतु खूंटी लगाना लाभकारी होगा। केला के पौधे में फूल आने की स्थिति में वर्तमान मौसम को देखते हुए पौधे को संरक्षित करें।

Read More: छत्तीसगढ़ सरकार ने गैर जरूरी खर्चों पर लगाई रोक, वित्त विभाग ने जारी किया आदेश