रायपुर: आज हम लोकतंत्र की बात करने वाले हैं, यानी डेमोक्रेसी की। जहां जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है। सीधे शब्दों में कहें तो एक ऐसी शासन व्यवस्था, जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लगता है कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रह गया है। दरअसल स्वीडन की संस्था ने एक सर्वे के आधार पर रिपोर्ट बनाई है, जिसके मुताबिक भारत अब इलेक्टोरेल डेमोक्रेसी नहीं बल्कि इलेक्टोरेल ऑटोक्रैसी बन गया है जिसकी स्थिति बांग्लादेश से भी खराब है। इसी रिपोर्ट को शेयर करते राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर राहुल गांधी ने क्यों कहा कि भारत में लोकतंत्र नहीं है? सवाल ये भी कि आखिर एक विदेशी एजेंसी की रिपोर्ट को इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है?
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दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र राष्ट्र, उसके दो सबसे बड़े दलों के दो सबसे बड़े नेता। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री का देश के संविधान पर गर्व करने वाला बयान तो दूसरी तरफ विपक्ष के युवा और कांग्रेस में सबसे मजबूत नेताओं में गिने जाने वाले पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का देश से लोकतंत्र खत्म होने का ऐलान। जाहिर है इस मुद्दे पर घमासान मचना, बहस छिड़ना तय है। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सबसे बड़ा सवाल उठाने की शुरूआत हुई है।
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स्वीडन की एक संस्था वी-डेम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट से, जो ये कहती है कि बीते 5 से 8 सालों में भारत अब एकतंत्रीय व्यवस्था की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। राहुल गांधी ने स्वीडन की इस संस्था के ट्वीट को री-ट्वीट किया कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा, जिस पर ये बहस छिड़ गई कि जिस देश को दुनियाभर में उभरते हुए सशक्त राष्ट्र के तौर पर देखा जा रहा हो उसके बारे में ऐसी टिप्पणी। क्या ये सोची-समझी कूटनीतिक चाल है, या फिर सियासी साजिश का हिस्सा? सवाल ये भी कि आखिर एक विदेशी एजेंसी की रिपोर्ट को इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है बहरहाल सवाल कई हैं, लेकिन राहुल के ट्वीट के बाद बीजेपी आक्रामक अंदाज में पलटवार कर रही है। छत्तीसगढ़ से लेकर मध्यप्रदेश बीजेपी ने राहुल को घेरते हुए कहा कि अगर भारत में लोकतंत्र नहीं होता तो छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने कैसे सरकार बना ली। बीजेपी ने इमरजेंसी का हवाला देते हुए राहुल गांधी पर कंज कसा कि सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को।
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राहुल के ट्वीट पर बीजेपी जहां हमलावर है, तो वहीं कांग्रेस अपने नेता के समर्थन में उतर गई है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक देश में अराजकता की स्थिति है। किसी को बोलने की आजादी नहीं है। खरीद फरोख्त के दम पर सरकारें बनाई जा रही है, इसलिए राहुल गांधी की चिंता जायज है।
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तय है कि इस मुद्दे पर बहस का दौर लंबा चलेगा। एक तरफ राहुल गांधी की चिंता को सिरे से खारिज करने का सिलसिला है तो दूसरी तरफ देश की मौजूदा स्थिति पर तंज कसने का विपक्ष का राग। बड़ा सवाल यही है क्या वास्तव में देश का लोकतंत्र खतरे में है और इसे तय कौन करेगा कोई विदेशी संस्था का सर्वे या लोकतंत्र में भाग्य विधाता कही जाने वाली देश की आम जनता?