रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के साथ निगम-मण्डल के दावेदार सक्रिय हो गए हैं। हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि फिलहाल निगम मण्डलों में नियुक्तियां नहीं की जाएगी। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक नियुक्तियों को रोक कर रखा जाएगा। इसके बावजूद फिल्म विकास निगम के लिए छत्तीसगढ़ कलाकार खुलकर लॉम्बिंग कर रहे हैं। निगम के दावेदार कलाकार सरकार के प्रमुख लोगों से मेल मुलाकात कर रहे हैं और दावे किए जा रहे हैं कि विकास निगम से छत्तीसगढ़ में फिल्मों का विकास होगा।
कांग्रेस की सरकार बनते ही छॉलीवुड के कलाकारों ने खुलकर दावेदारी शुरु कर दी है। दरअसल, 15 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस समर्थित कलाकारों को आशंका है कि निगम पर बीजेपी समर्थित लोग न आ जाएं, इसलिए भी वे कोई खतरा मोल लेना चाहते। ऐसे में कलाकार सरकार के प्रमुख लोगों से मिलकर अपनी बात रख रहे हैं। सरकार ने भी छत्तीसगढ़िया कलाकारों को महत्व देने का ऐलान कर उनके सपनों को पंख लगा दिए। इस घोषणा के बाद से कलाकारों को लगने लगा है कि अब उनकी पूछ परख होगी। पिछले कई बरस से राज्य के कार्यक्रमों में चुनिंदा कलाकारों को या फिर बाहर के आर्टिस्ट्स को बुलाया जाता रहा है। इस वजह से भी स्थानीय कलाकारों की महत्वाकांक्षा जागी है और वे जोर लगा रहे हैं।
फिल्म निर्देशक-कलाकार और कांग्रेस के एक बड़े नेता के करीबी रिश्तेदार पुष्पेंद्र सिंह और प्रेम चंद्राकर ने तो बकायदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उन्होंने पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू से मुलाकात कर अपना दावा ठोंका है। पुष्पेंद्र सिंह के पक्ष में तो कलाकारों का दल विधानसभा भी पहुंच गया था। वहां भी सीएम सहित तमाम बड़े नेताओं के सामने दावा किया गया। इनके अलावा अध्यक्ष पद के लिए संतोष जैन, डॉ. अजय सहाय और रॉकी दासवानी का नाम भी उभरा है। सभी अपने राजनेताओं से संबंध के जरिए भी जोर आजमाइश कर रहे हैं।
फिल्म निर्माता प्रेम चंद्राकर मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के भरोसे हैं, जबकि पुष्पेंद्र सिंह अपने रिश्तेदार नेता के जरिए गुणा-भाग कर रहे हैं। इसी तरह दुर्ग से संबंध रखने वाले संतोष जैन और रॉकी दासवानी भी जोड़-तोड़ में लगे हैं। फिल्म अभिनेता एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय सहाय अध्यक्ष पद के लिए लगातार रास्ता बनाने में जुटे हैं। कुल मिलाकर फिल्म विकास निगम में दावेदारों की सक्रियता ने इस पद का महत्व बढ़ा दिया है और रुपहले पर्दे में सियासी रंग दिखाई देने लगा है।