पेट्रोल में आग…जाग सरकार जाग! क्या सरकारें इस कठिन दौर में अपने मुनाफे में थोड़ी-थोड़ी कटौती नहीं कर सकती हैं?

पेट्रोल में आग...जाग सरकार जाग! क्या सरकारें इस कठिन दौर में अपने मुनाफे में थोड़ी-थोड़ी कटौती नहीं कर सकती हैं?

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  • Publish Date - July 1, 2021 / 05:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

रायपुर: ये कहना गलत ना होगा कि पहले कोरोना ने मारा, अब महंगाई मार रही है। प्रदेश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का सिलसिला रुक ही नहीं रहा है। छत्तीसगढ़ में पहली बार है, जब पेट्रोल के दाम 100 रुपए के पार चले गए हैं और डीजल के दाम भी शतक लगाने के करीब हैं। जाहिर है पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों का असर किराए, माल-भाड़े पर पड़ता है। नतीजतन खाने-पीने समेत सभी चीजों के दाम फिर बढ़ने तय हैं। कांग्रेस कहती है केंद्र की मोदी सरकार महंगाई बम फोड़ रही है, तो भाजपा कहती है प्रदेश सरकार कंगाल हो चुकी है। वो केवल धरना-प्रदर्शन-आंदोलन करके फर्ज पूरा कर रही है। बड़ा सवाल ये कि आमजन को राहत की राह कौन निकालेगा?

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देश भर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश में पहली बार पेट्रोल ने शतक मारा है। तेल के बढते दामों का सबसे ज्यादा असर बस्तर में दिखा। जुलाई के पहले ही दिन बीजापुर में पेट्रोल 100 के पार पहुंच गया, वहीं दंतेवाड़ा में भी पेट्रोल ने शतक मारा। छत्तीसगढ़ की राजधानी में भी प्रीमियम पेट्रोल 100 के पार पहुंच गया। महामारी के बाद महंगाई लोगों का जीना मुहाल किए हुए है। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी वेव के बाद दामों की तुलना करें, तो दूसरी वेव के प्रचंड कहर के बाद दाम और तेजी से बढ़े। पेट्रोल के साथ-साथ डीजल के दाम भी शतक के करीब पहुंच गए हैं।

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प्रदेश में पेट्रोल के दामों के विस्तार पर नजर डालें तो, प्रदेश में 25 फीसदी का वैट टैक्स लिया जाता है। इसके अलावा 2 रुपए का सेस भी लगता है। यानि पेट्रोल का दाम 100 रुपए होने पर उसमें 27 रुपए का टैक्स राज्य का होता है। जबकि करीब 39 रुपए का टैक्स केंद्र सरकार को जाता है। इसमें पेट्रोल पंप का कमीशन भी होता है। पंप संचालकों को पेट्रोल में करीब 3.20 रुपए तक कमीशन मिलता है। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर कांग्रेस सड़क पर आंदोलन करने की बात कह रही है, तो पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि राज्य सरकार केवल धरना प्रदर्शन और आंदोलन करके भर का काम कर रही है।

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कुल मिलाकर कोविड की दो भीषण लहर झेल चुकी आमजनता अब बढ़ती महंगाई से तिल-तिल मरने की स्थिति में है। भले के तेल के दामों पर सरकार का सीधा नियंत्रण ना सही लेकिन ये साफ है कि तेल के दामों में राज्यों और केंद्र का अपना-अपना हिस्सा है। बड़ा सवाल ये कि क्या सरकारें इस कठिन दौर में आमजन की राहत के लिए अपने मुनाफे में थोड़ी-थोड़ी कटौती नहीं कर सकती हैं?

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