रायपुर। संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय ने बढ़ते कोरोना मामले को लेकर कहा, जंग अभी बाकी है। ज्ञातव्य हो कि विकास उपाध्याय एक मात्र जनप्रतिनिधि हैं जो कोरोना संक्रमण के चरम समय में सार्वजनिक तौर पर लोगों के बीच बचाव को लेकर लंबे समय तक काम किए हैं। उन्होंने आज कहा, जब तक पूरे विश्व से कोरोना समाप्त नहीं हो जाता, तब तक हम ये नहीं कह सकते कि सफल हो गए हैं। उन्होंने कहा, कोरोना वायरस के खिलाफ बायो साईन्स काफी कारगर साबित हुई है, परन्तु जब तक इसे सामाजिक नजरिये से नहीं सोचेंगे, सफलता हासिल नहीं हो सकती। मास्क सहित लोगों का व्यवहार को लेकर जोर देने की आज भी जरूरत है।
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विकास उपाध्याय ने पिछले कुछ समय से बढ़ रहे कोरोना मरीजों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र के वालंटियर्स को निर्देशित दिया है कि वे इस वायरस को लेकर सजग रहें। साथ ही क्वारंटाईन सेंटरों को भी जीवित रखने के निर्देश दिए हैं। विकास उपाध्याय ने कहा, कोरोना को लेकर आज भी चुनौतियां कई हैं। वैक्सीन इस लड़ाई में सिर्फ पहली सुरक्षात्मक लाईन है, जबकि अभी भी वैक्सीन का परीक्षण बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर नहीं हुआ है। इसलिए कि अभी तक जो दिशा-निर्देश जारी हुए हैं, बुजुर्ग एवं प्रथम पंक्ति के वालंटियर्स पर ही टीकाकरण का अभियान हो रहा है।
विकास उपाध्याय ने कोरोना को लेकर आज एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, अब तक जो वैक्सीन टेस्ट की गई है, वह शरीर में वायरस को फिर से फैलने से रोकेगी और लोगों को बीमार होने से बचाएँगी। लेकिन इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि जिस व्यक्ति को वैक्सीन दी जा चुकी है उससे दूसरों को कोरोना संक्रमण नहीं होगा। इससे साफ जाहिर है कि पहले की अपेक्षा अब और भी सतर्कता की जरूरत है। उन्होंने साफ कहा कि जिस भी व्यक्ति को वैक्सीन दी जा रही है वह 100 फीसदी प्रभावी हो ही नहीं सकता, अर्थात् 05 फीसदी की आशंका हमेशा बनी रहेगी। सिर्फ कुछ हद तक वायरस का संक्रमण रोकने के लिए ही यह टीकाकरण कारगर होगा।
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विकास उपाध्याय ने अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों में फिर से यह वायरस न फैले को लेकर तमाम वालंटियर्स को निर्देशित किया है कि वे पूरे क्षेत्र में सतर्कता बरतते हुए एक-एक व्यक्ति का ध्यान रखें। साथ ही कोरोना के पिक पीरियड में जो क्वारंटाईन सेंटर संचालित थे उसमें से आपात व्यवस्था को लेकर कुछ को जीवित रखा जाए, ताकि विशेष परिस्थिति में लोगों की सुविधा के लिए उपयोग किया जा सके। उन्होंने सभी व्यक्तियों को मास्क की अनिवार्यता पर जोर देने के निर्देश के साथ ही लोगों में सामाजिक जागरूकता पर जोर देने की अपील की है। इसलिए कि वैक्सीनेशन के बीच में भी जिसे भी पहले वैक्सीन मिले वो महामारी से लड़ने के उपाय अपनाता रहे। वैक्सीन मिलने के एक से डेढ़ महिने बाद भी अगर उनका इम्यून बेहतर हो भी गया है, तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वो इस बीमारी को फैलाने का काम नहीं करेंगे।
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