स्कूल और छात्रावास में सप्ताह में एक दिन होगी ‘गोंडी’ भाषा की पढ़ाई, पाठ्यक्रम में शामिल करने हो रहा विचार

स्कूल और छात्रावास में सप्ताह में एक दिन होगी 'गोंडी' भाषा की पढ़ाई, पाठ्यक्रम में शामिल करने हो रहा विचार

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  • Publish Date - January 17, 2020 / 04:28 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

उमरिया: प्रदेश के विंध्य, महाकौशल और बुंदेलखंड के मूल आदिवासियों की विलुप्त होती जा रही प्राचीन गोंडी भाषा को एक बार फिर विकसित करने की पहल शुरू हुई है। इसकी शुरुआत उमरिया जिले के कुछ संस्कृति कर्मी व भाषा के जानकरों ने की है, जिसके तहत भाषा के जानकर सप्ताह में एक दिन स्कूल और छात्रावासों में पंहुचकर न सिर्फ निशुल्क सेवा देंगे, बल्कि बच्चों को गोंडी भाषा के गुण भी सिखाएंगे।

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गौरतलब है कि प्रदेश की आदिमजातियों की 42 से ज्यादा उपजातियां हैं, जो कि गोंड समुदाय की मानी जाती है। इनके बीच आदिकाल से गोंडी भाषा प्रचलित रही है, लेकिन समय के साथ गोंडी भाषा पिछड़ती चली गई। जानकारों की मानें तो गोंडी भाषा न सिर्फ दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है, बल्कि इसमें भाषा के समस्त गुण विद्यमान है। इस पहल से शिक्षकों के साथ छात्रों में भी उत्साह है।

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समाज सेवी वर्षा सिंह ने कहा है कि भाषाई सरंक्षण को लेकर उमरिया से शुरू की गई है। यह पहल कई मायंनो में खास मानी जा रही है। मसलन देश के बड़े आदिवासी समूह की भाषा से समाज को अवगत कराना और भाषा के महत्त्व को आमजन तक पंहुचाना है। देखना होगा की आधुनिकीकरण के दौर में जहां परंपरागत संस्कृति क्षीण होती जा रही है, वहीं गोंडी भाषा के सरंक्षण का प्रयास कितना कारगर साबित होता है।

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