Publish Date - April 13, 2021 / 06:47 PM IST,
Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST
भोपाल: कोरोना महामारी ने इतना भयावह रूप ले लिया है कि लोग अपनों को अंतिम विदाई तक नहीं दे पा रहे हैं। संक्रमण से हुई मौत के बाद परिजन अंतिम संस्कार को तरस रहे हैं। डर के कारण लोग अपनों को मुखाग्नि देने तक से कतरा रहे हैं। ऐसे कठिन समय में मजहबी सरहदों को पार कर नगर निगम के कर्मचारी इंसानियत का धर्म निभा रहे हैं।
इंसानियत का धर्म निभा रहे कर्मचारियों का नाम सद्दाम कुरैशी और दानिश सिद्दकी है। इनका मजहब जरूर अलग है, लेकिन अब तक इन्होंने 60 से ज्यादा हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किए। 10 दिनों में एक दर्जन से अधिक लोगों के अंतिम संस्कार इन्होंने किए।
सद्दाम बताते हैं कि मजहब हमेशा इंसानियत की सीख देता है। लिहाजा उन्होंने खुद ही हालातों को देखकर मानवता का फर्ज अदा किया। वहीं दानिश ने बताया कि ऐसे वक्त में लोगों की मदद करना ही हमारा सबसे बड़ा धर्म हैं।