भोपाल: बात का बतगंड और रस्सी को सांप समझना…बोलचाल में आपने कई बार इनका इस्तेमाल भी किया होगा, लेकिन सियासत में आपकी एक बात के कई मायने निकाले जाते हैं और फिर उस पर शुरु हो जाती है राजनीति। छिंदवाड़ा दौरे पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कार्यकर्ताओं से पूछा कि उन्हें भविष्य में क्या करना है आप तय करें उन्हें जवाब भी मिला। लेकिन बीजेपी कहां रुकने वाली थी, निकाय चुनाव से ऐन पहले पार्टी ने इसे मध्यप्रदेश की भलाई से जोड़ दिया। जबकि शुरु में बैकफुट पर रही कांग्रेस बाद में आक्रमक नजर आई और कहा कि कमलनाथ घर बैठने वाले नहीं बैठाने वाले है।
यह सब बातें हैं छिंदवाड़ा की अपनी पहचान है मैं आराम करने को तैयार हूं…मुझे कोई पद का लालच नहीं…मैंने बहुत कुछ प्राप्त कर लिया है…इतना मैंने प्राप्त किया शायद किसी और ने प्राप्त नहीं किया…मैं घर बैठने को तैयार हूं…मैं भी आराम करने को तैयार हूं…जितना मैंने काम किया शायद किसी और ने काम नहीं किया…मैं क्या करूं भविष्य में यह भी आपको तय करना है…. कार्यकर्ताओं से आवाज आई… नहीं साहब आप हो ना…।
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छिंदवाड़ा के सौंसर में कार्यकर्ताओं की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जब कार्यकर्ताओं से पूछा कि मैं क्या करुं भविष्य में ये आपको तय करना है तो कार्यकर्ताओं की तरफ से ही जवाब मिल गया। …आप हो न…और लगने लगे जिंदाबाद के नारे ……….।
बीते 40 साल में छिंदवाड़ा की तस्वीर बदलने वाले कमलनाथ ने ये बात भले ही सहजता के साथ कही हो लेकिन धीरे धीरे इस बयान ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया। निकाय चुनाव से ऐन पहले बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने में जुट गई। पार्टी अध्यक्ष वी डी शर्मा ने उन्हें सलाह दी कि यदि कमलनाथ जी संन्यास ले रहे हैं तो साथ में दिग्विजय सिंह को भी संन्यास दिलवा दे ताकि प्रदेश का भला हो जाए। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे उनका निजी मामला बताया।
कमलनाथ ने सौंसर में भले ही ये बात सहजता से कही हो लेकिन कुछ सवाल तो खड़े होते ही हैं। आखिर इस बयान के क्या मायने है। कई चुनाव जीत चुके कमलनाथ क्या विधानसभा चुनावों के परिणामों से नाराज हैं? क्या ये कांग्रेस में बदलाव के संकेत हैं? क्या ऐसे बयानों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह कम नहीं होगा? वैसे कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कमलनाथ के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है।
कमलनाथ 9 बार छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। अब वो छिंदवाड़ा से विधायक है जबकि लोकसभा सीट से उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। विकास को लेकर कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल बीते विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा था। इस वक्त अकेले कांग्रेस की कमान संभाल रहे कमलनाथ के सामने बड़ी चुनौती निकाय चुनाव को लेकर है।
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